किस्सा- कहानी
इजरायल
आप से कहा जाए कि. 1948 तक दुनिया में इजरायल नाम का कोई देश था ही नहीं. तो आप निश्चित तौर पर चौंक जाएंगे. लेकिन यही सत्य है. हज़ारों साल पुराने देश इजरायल के वक्त के यपेड़ों ने दुनिया के नक्से से मायब कर टिया. लेकिन ये यहूदियों का उनके मातृभूमि के प्रति प्रेम ही था, जिसने दो हज़ार साल के बाद अपने देश को वापस पुनर्जीदित किया.
तो आइए आज इस लेख के माध्यम से हम यहूदियों के महान संघर्ष और इजरायल के स्थापना की पूरी कहानी जानते हैं. इतिहास के पन्ने में इजरायल और यहूदियोँ को तीनों इब्राहिम धर्म(इस्लाम, ईसाई और यहूदी) का मूल माना जाता है. डक उसी तरह जैसे आरत में हिन्दू सनातन धर्म बाँकीी आरतौय धर्मा(बीदध, जैन, सिक्स) का मूल है. दशा लेकिन आरतीय धर्मा की आपस मैं सामंजस्य के जगह इब्राहिम धर्म के लोग एक दूसरे की ईश्वर और पवित्र किताब की निंदा करते हुए खड़ते रहते थे. और ये लाई बदस्तूर जारी है. ईशा से दो हज़ार वर्ष पूर्वी आज से लगअग 4 हज़ार वर्ष पूर्व) इजरायल के आसपास के इलाकों पर यहूदियों का राज्य या. इस वक्त तक इस्लाम और ईसाई धर्म का दूर-दूर तक कोई अतापता नही था. स्म्बे समय तक(2 हज़ार वर्ष तक) यहूदी लोग अपने मूलमूमि इजरायल मैं सुखशांति से रहते रहे. सेकिन ईसाई धर्म की स्थापना (पहली सदी) और उसके फैलाय ने इजरायल पर बुरा प्रभाव डाला. पोष के नेतृत्व मैं धर्म के नाम पर सडकर ईसाइयाँ ने यहूदियों की भूमि पर कडज़ा कर लिया. इसके बाद से यहूदी अपने ही दैश मैं गुलाम बन गए. यहूदियों की भूमि के लिए इस्लाम और ईसाइयों में झगड़ा.
बाद मैं इस्लाम की स्थापना(5-6 सदी) के बाद खलीफा की फौज औ मैदान में आ गई. सभी एक दूसरे के धर्म स्थान, पवित्र किताब और उनके ईश्वर के खिलाफ खड़े ये. इसके बाद प्रथम विश्वयुद्ध तक इजरायस कऔ खलीफा(सर्वोच्ध मुस्सिम धर्मगुरु) तो कभी पौषाईसाइयों के धर्मगुरु) के शासन में रहा. सेकिन इस पूरे घटनाक्रम मै इजरावल के मूलनिवाली यहूदी मृकदर्शक बने रहे. धीरे-धीरे वे पलायन करके स्रौप कै विडिन्न देशी में शरणायी बन गए. 17-18वी सदी तक इजरायल में एक औ वहूदी नही बचा. चथन विश्वयुद्य में अत़ीखा की हार और आशा की किरण . प्रथम विश्वयुद्ध के समय इजरावल पर खलीफा का शान था.
सेकिन खलीफा विश्वयुदध में ब्रिटिश मुट से हार गया. इसके बाद इजरायल पर अंद्ज्ी क्या राज हो गया. इसके बाद विभिन्न यूरोपीय देश और अमेरिक में रहने वाले वहूदियों क्ये आशा की एक किरण दिखाई दी. अमेरिक्य के कुछ प्रभावशाली यहूदियों कै प्रयास से अमेरिकी सरवपर ने ब्रिटेन पर यहूदी शब्ट्र कि स्थापना का दबाव डाला. जिसके चछते अंद्षेजां ने एक स्वतंत्र यहूदी राष्ट् कय समर्यन किया. इससे उत्साहित दुनिया भर में फैसे वहूदियों ने प्रस्तादित इजरायल की और पलायन शुरू कर दिया. चूंकि ज्यादातर यूरोपीय देशों मैं यहूदियां की स्थिति अच्छी नि थी. वहीँ उन्हें दोवम दर्ज कया नाजरिक सम्पपुल जात्त था. जमगी में भी हिटिश्ल्ट के उदय के काद चहूदियाँ चर भयानक हमले शुरू हो गए. इन घटनाओं ने भी यहदियों क्यो इजरायल आने के लिए प्रेरित किया.
प्रचीन इजरायल पर अब मुसलमानों का कब्जा था और वे किसी भी बमिमत पर इसे वहूदियों के साथ साझा नहीं काना चाहते ये. अंदेजों बचे तमाम ब्वैशिशी के वावजूद वहूदी राष्ट्र की स्थापना नहीं हो सके.
अंत में हारकर अंडेजी मे इस इलाके पर अपना दावा छोड़कर इसे वयास्थिति में छोड़ दिया. मूछन सा हस्लवोना और सन मजा इनस्माज मामस्य सुल्काता न दैखकन, वृएन ने मामले मैं हस्तलेप किया और विवादित शेअफिसिस्तीन) क्ये तीन हिस्सों में बांट दिया. पहमा हिस्सा अरबी मुससूमानों क्ये मिलता. दूसरे हिस्से पर यहूदी मुल्क इजतायत औे स्थापना हुई. और तीस शे्र अेस्ससम को अंतरराष्ट्रीय जिनरादी मैं रखयो कय फैससलज जिनका मजा. जौ अभी भी फियाद गति वजह बनी हुई है.