ओ तेरी..
भारत में बढ़ते एचआईवी संक्रमित मरीज
दुनिया में एथआईवी/एड्स एक महामारी क्य रूप लेता जा रहा है. इस जानलेया विधाण के बारे मैं (8७ ३16 11 उ्ाभकत855 €ग्गा02ह1 सभी 10९० 10 6९० ५४४ 5९३५०) जागरूकता की कमी आरत सहित व्वलसशील टेशों की सबसे बच्ची विडंकना है. आज और एचआईवी संक्रमित या एड्स पीड़ित व्यक्तितियों के साथ अयानक पेदआय होता है. यह मेदआव अनपढ़ लोगों दवारा ही नहीं होता, बल्कि थिक्त्सा के पेशेधारी लोगों के दवारा भी इस प्रकार का झदआय देखने क्से मिलता है. एचआईवी एक वायरस है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचाता है. प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर को संक्रमण से लड़ने मैं मदद करती है. अनुफ्चारित एचआईवी संक्रमित और सीडी 4 कोशिकाओं क्यो मारता है, जो टी ब्वेशिकरओं नामक एक प्रकार की प्रतिरशा कोशिका हैं. समय के साथ, जैसा कि एचआईवी अधिक सौ 4 कोशिकाओं को मारता है, शरीर को विश्विन्न प्रकार के संक्रमण और कसर होने की अधिक संमावना है. एचआईवी कने शारीरिक तरल पदार्थ के माध्यम से प्रेषित किया जाता है जिसमें शामिल हैं:
- रक्त
- लक
- चीर्य
- योनि और मलाशय तरल पदार्च
- स्तन का दूध
- खायरस हवा या पानी में या आकस्मिक संपर्क के माध्यम से
कैलता नहीं है.
एचआईवी और एड्स दोनों शब्द एक सांथ बोले जाते हैं. बहुत से लोगों को इसमें अंतर समझ मैं नहीं आता है. इनके बारे मैं अ्रम बहुत ज्यादा है. एचआईवी मतलब हयूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस एक ऐसा विषाण है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है. इस वायरस की चपेट मैं आने के बाद यदि समय पर इसकी पहचान हो जाए तो चिकित्सकों के मार्गदर्शन और उपचार से बेहतर जीयन जिया जा सकता है. लेकिन यदि एचआईवी की समय पर पहचान ना हो तो यह एड्स मतलब एक्यायरड इम्यूनों डेफिसियेंसी पिंझेम में रुपांतरित हो सकता है. एड्स का कोई उपचार नहीं है. एड्स होने के बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह से शीण हो जाती है