किस्सा- कहानी

महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस के रास्ते क्यों हुए अलग, भगत सिंह और गांधी को लेकर चर्चित विवाद –

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देश के राष्ट्रपिता माने जाने वाले महात्मा गांधी से जुड़े कई ऐसे आज चर्चित विवाद है, जिनके बारे में शायद हर कोई नहीं जानता होगा और यह विवाद ऐसे हैं की इनपर यकीन कर पाना थोड़ा मुश्किल है.

1. गांधीजी और सुभाष चंद्र बोस के रास्ते क्यो हुए अलग –

गांधीजी और सुभाष चंद्र बोस में अनबन होने का सबसे बड़ा कारण है दोनों की अलग-अलग विचारधारा… जब साल 1921 में दोनों पहली बार मिले थे तो एक दूसरे के विचारों से बेहद ही प्रभावित हुए थे, पर समय के साथ- साथ यही अलग विचारधारा ने दोनों के बीच मतभेद पैदा करना शुरू कर दिया। दरअसल गांधी जी सत्य और अहिंसा की राह पर चलकर भारत को आजाद करना चाहते थे पर बिल्कुल इसके विपरीत सुभाष चंद्र बोस का मानना था कि बिना अंग्रेजों को मुंहतोड़ जवाब दिए इस तरह हमें आजादी कभी नहीं मिल सकती थी. यही वजह है कि अलग-अलग विचारों को लेकर दोनों में हमेशा अनबन हुआ करती थी.

2. गांधीजी चाहते तो रुक जाती भगत सिंह की फांसी ?

इस बात को लेकर आज कई तरह के तर्क सामने आते हैं कि क्या वाकई में गांधीजी चाहते तो भगत सिंह की फांसी को रोक लेते.
जब भगत सिंह और उनके साथियों ने अंग्रेजी शासक के एक पुलिस अधिकारी पर हमला किया तो उन्हें हिरासत में ले लिया गया और फांसी की सजा सुनाई गई. इसके बाद लगातार लोग गांधीजी से उम्मीद कर रहे थे कि वह इस सजा को रोक लेंगे, पर वायसराय से बातचीत की बाद भी उन्होंने फांसी खत्म करने की जगह सजा टालने पर ज्यादा जोर दिया. वहीं दूसरी ओर अंग्रेजों ने भी यह सोच लिया था कि भगत सिंह और उनके साथियों को फांसी देकर बाकी युवाओं को डराकर रखेंगे. कहा जाता है कि गांधी जी ने बातचीत के अलावा कई तरह से कानूनी रास्ते भी अपनाए थे, पर कामयाबी नहीं मिली, जहां 23 मार्च 1931 को भगत सिंह की जब फांसी हुई तब काफी संख्या में लोग महात्मा गांधी की आलोचना करने लगे. इसमें सबसे ज्यादा पंजाब के लोग शामिल थे क्योकि पंजाब के अधिकांश लोग भगत सिंह को ज्यादा पसंद करते थे.

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