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मसूद अजहर को छुड़ाने के लिए आतंकियों ने किया था भारतीय विमान को हाईजैक –

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ये घटना साल 1999 की है, जब हमारे देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई थे, जिन्होंने अपने देश के नागरिकों को बचाने के लिए एक ऐसा फैसला लिया जिसके बारे में सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. साल 1999 में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट रवाना हुई तो शाम तक पता चलता है कि नेपाल पहुंचते ही आतंकियों ने उस प्लेन को हाईजैक कर लिया और अपनी मनमानी करते हुए प्लेन को काठमांडू से अमृतसर, लाहौर और फिर अफगानिस्तान के कंधार ले गए. प्लेन में 178 पैसेंजर के साथ अन्य क्रु मेंबर भी शामिल थे, जहां आतंकियों ने इन पैसेंजर की रिहाई के बदले अपने आतंकी मौलाना मसूद अजहर समेत 35 अन्य आतंकियों को रिहा करने की बात कही थी और इसके साथ ही $200000000 की फिरौती की मांग की गई थी, लेकिन बाद में इन आतंकियों ने फिरौती की मांग छोड़ दी. बताया जाता है कि इस प्लेन को लगभग एक हफ्ते तक बंधक बनाकर रखा गया था.

जब प्लेन का फ्यूल खत्म हो गया तो सबसे पहले आतंकियों ने प्लेन को लाहौर एयरपोर्ट पर उतारा, जब वहां अथॉरिटी ने इजाजत नहीं दी तो प्लेन को अमृतसर में उतारा गया वहां भी फ्यूल नहीं भरा गया. काफी समय के बाद हाईजैक्र्स ने एक पैसेंजर रूपीन कात्याल की हत्या कर दी और फिर लाहौर में प्लेन को उतारकर वहां पर फ्यूल भरवाया, जिसके बाद प्लेन की लैंडिंग दुबई में की गई. वहां आतंकियों ने यूएई से बातचीत करने के बाद 25 यात्रियों और रूपीन कात्याल के शव को यूएई अथॉरिटी को सौंप दिया और फिर प्लेन को कंधार में जाकर लैंड करवाया

उस वक्त काफी विचार-विमर्श करने के बाद अटल बिहारी वाजपेई ने अपने देश के पैसेंजर्स की जान बचाने के लिए उनके आतंकियों को छोड़ने का फैसला लिया, जिसमें मौलाना मसूद अजहर, मुस्ताक अहमद जरगर और अहमद उमर सईद शेख शामिल थे, जिसके बाद 31 दिसंबर को हाईजैकर्स ने 178 पैसेंजर को रिहा किया, जहां सरकार ने अपने यात्रियों के लिए स्पेशल प्लेन भेजा, जिसमें उन्हें वापस लाया गया.
बाद में यह वही मसूद अजहर निकला जिसने साल 2000 में एक आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद संगठन को बनाया था.

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