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सोनिया और राजीव गांधी की प्रेम कहानी… एक अनोखी लव स्टोरी
राजनीति में अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा है सोनिया गांधी. उनका जन्म 9 अगस्त 1946 को हुआ था, वो एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखती थी. पहली बार 1968 में जब वह भारत आई थी तो उन्हें यह नहीं पता था कि वह हमेशा यहीं की होकर रह जाएंगी.
हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि सोनिया गांधी और राजीव गांधी की प्रेम कहानी भी उन कहानियों में से एक है जो काफी रोचक और अपने समय में चर्चित रही थी. यह वो कहानी है जो लोग खूब पसंद भी करते हैं.
दोनों की पहली मुलाकात कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के एक रेस्टोरेंट में हुई थी, जहां राजीव गांधी पहली बार में ही सोनिया गांधी को देखकर उन्हें अपना दिल दे बैठे थे और उन्होंने एक बार सोनिया गांधी के बगल वाली सीट देने की रिक्वेस्ट रेस्टोरेंट के मालिक से की थी. इतना ही नहीं उस दिन राजीव गांधी नैपकिन पर सोनिया गांधी के लिए एक कविता भी लिखे, जिसे उन्होंने महंगी वाइन बोतल के साथ भेजा था, तब तक राजीव गांधी को सोनिया गांधी इतनी पसंद आ गई थी कि वह शादी का मन बना चुके थे. इतना ही नहीं वह समझ चुके थे कि सोनिया गांधी वही लड़की है जिसकी उन्हें तलाश थी.
वही उधर सोनिया गांधी और राजीव गांधी लगातार एक दूसरे से मिलने लगे और दोनों के बीच रिश्ता और गहराता गया. कहा जाता है कि राजीव गांधी को सोनिया गांधी की स्ट्रेट फॉरवर्ड और मिलनसार स्वभाव काफी पसंद आया था.
वही उधर सोनिया गांधी भी राजीव गांधी को पसंद करने लगी थी और उन्होंने अपने परिवार वालों को चिट्ठी के माध्यम से राजीव गांधी के बारे में बताया कि उन्हें एक भारतीय लड़के से प्यार हो गया है और वह उनसे शादी करना चाहती है. उस वक्त सोनिया गांधी के लिए राजीव गांधी नीली आंखों वाले किसी सपनों के राजकुमार से कम नहीं थे.
पर कहा जाता है कि इंदिरा गांधी इस रिश्ते से खुश नहीं थी. वह इतावली लड़की को अपने परिवार की बहू नहीं बनाना चाहती थी फिर इसके बाद बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन की मां तेजी बच्चन जिन्होंने सोनिया गांधी को भारतीय संस्कृति के बारे में बताया और सिखाया था उन्होंने इस मामले में हस्तक्षेप किया और फिर इंदिरा गांधी इस शादी के लिए राजी हो गई.
वहीं दूसरी ओर शादी के बाद सोनिया गांधी को भारत की नागरिकता मिल गई तो उन्होंने धीरे-धीरे राजनीतिक रसूख सीखने शुरू कर दिए.
जब साल 1991 में राजीव गांधी की हत्या हो गई तब उसके बाद सोनिया गांधी लगातार 19 साल तक कांग्रेस पार्टी की कमान संभालती रही और आज तक वो कार्यरत है.