धर्म- कर्म
कैलाश मानसरोवर यात्रा- जाने शिव के द्वार कैसे जाते हैं लोग
जब भी हम कभी हिंदू तीर्थ स्थलों का जिक्र करते हैं तो इन सब में सबसे पहले कैलाश मानसरोवर यात्रा का ख्याल ही लोगों के मन में आता है. हमारे हिंदू धर्म के अनुसार यह कहा जाता है कि यह वही कैलाश पर्वत है जहां पर भगवान शिव माता पार्वती और अपने दोनों पुत्र गणेश एवं कार्तिकेय के साथ यहां पर रहते थे. यह कैलाश पर्वत चीन में स्थित है. इस कारण सरकार की नियमावली काफी अधिक है. सरकार ने इस यात्रा को लेकर यह साफ कह दिया है कि अगर किसी कारणवश किसी यात्री की मौत हो जाती है या कोई प्राकृतिक आपदा में किसी तरह की कोई क्षति होती है तो इसके लिए सरकार बिल्कुल जिम्मेदार नहीं होगी. इसलिए यात्रा के दौरान लोगों से सभी जरूरी वस्तुओं को लेकर चलने की सरकार अपील करती है.
इस कैलाश पर्वत से जुड़े कई ऐसे रहस्य है जिसकी गुत्थी आज तक नहीं सुलझ पाई है.
कहा जाता है कि दुनिया का सबसे ऊंचा पहाड़ माउंट एवरेस्ट जिसे चाहे तो आसानी से फतह किया जा सकता है पर कैलाश पर्वत को कभी भी कोई फतह नहीं कर सकता है, जब-जब किसी ने इस पर्वत को फतह करने की कोशिश की है तब- तब भूकंप, हिमस्खलन हुआ है. इस पर्वत पर केवल वही व्यक्ति चढ़ सकता है, जिसने अपने जीवन में एक भी गलत काम या किसी तरह का कोई पाप नहीं किया हो. अब आप समझ सकते हैं कि इस पूरी दुनिया में ऐसे कितने लोग मौजूद हैं.
भारत सरकार द्वारा लोगों को कैलाश मानसरोवर यात्रा में सहूलियत देते हुए दो रास्ते की इजाजत दी गई है. पहला रास्ता नाथुला पास जो सिक्किम से होकर गुजरता है, जिसमें 50 लोगों का एक जत्था होता है और हर यात्री पर लगभग लाखों का खर्चा भी लगता है. सरकार ने खासकर बूढ़े और बुजुर्ग एवं किसी तरह की परेशानी का सामना कर रहे लोगों के लिए यह रास्ते को सबसे बेहतर बताया है.
वही इस यात्रा के लिए दूसरा रास्ता लिपुलेख पास उत्तराखंड से होकर गुजरता है, जिसमें लगभग 60 लोगों का जत्था शामिल होता है और इस रास्ते से यात्रा करने में भी लगभग एक से डेढ़ लाख का खर्चा आता है. हर साल जून से सितंबर महीने के बीच इस यात्रा का आयोजन किया जाता है.
कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान आप मानसरोवर झील, यम द्वार, पशुपतिनाथ मंदिर, गौरीकुंड, अष्टपाद तीर्थ, मुक्तिनाथ मंदिर, दामोदर कुंड, नंदी पर्वत का अनुभव कर सकते हैं.
ये कैलाश पर्वत केवल हिंदू ही नहीं बल्कि जैनियों और बौद्धों का भी तीर्थ स्थल माना जाता है.