धर्म- कर्म

मां कामाख्या का सिद्ध पीठ, जहां तंत्र मंत्र की भी मिलती है शिक्षा.

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असम की गुवाहाटी में स्थित मां कामाख्या का मंदिर है. इस मंदिर के यहां पर होने की एक बड़ी वजह है. कहा जाता है कि जब भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से कटकर देवी सती के अलग-अलग अंग अलग-अलग जगहों पर गिरे थे तो देवी सती का योनि भागा असम की गुवाहाटी के पहाड़ी पर गिरा था और फिर यही स्थान पर मंदिर की स्थापना की गई. यहां पर किसी मूर्ति की नहीं बल्कि देवी सती के योनि भाग की आज तक पूजा की जाती है.

एक हैरान करने वाली बात आपको बता दें कि पहले आपको ब्रह्मपुत्र नदी के टापू पर स्थित उमानंद भैरव का दर्शन करना पड़ता है. उसके बाद ही आपको मां कामाख्या के दर्शन की इजाजत मिलती है.

यहां पर लगने वाला अंबुबाची मेला पूरी दुनिया में मशहूर है और आज भी इस मंदिर में जानवरों की बलि दी जाती है. यह वही जगह माना जाता है, जहां पर देवी सती और भगवान विष्णु के बीच प्रेम हुआ था. इसी वजह से इसका नाम कामाख्या देवी रखा गया था, क्योंकि प्रेम शब्द को संस्कृत में काम कहा जाता है.

तंत्र साधना के लिए मां कामाख्या का मंदिर पूरी दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, जहां पर काला जादू तंत्र- मंत्र भी किया जाता है. इतना ही नहीं मां कामाख्या मंदिर के साधु हर तरह की तंत्र मंत्र जानते हैं और सभी तरह के चमत्कार करना भी अच्छी तरह से जानते हैं.


अगर किसी पर काला जादू हो गया है तो वह व्यक्ति यहां पर आकर उस काले जादू से मुक्ति पा सकता है.
आप जानकर चौक जायेंगे कि जब माता सती अपने मासिक चक्र में होती है तो इस दौरान वहां का ब्रह्मपुत्र नदी लाल हो जाता है. यही वजह है कि 3 दिन तक मंदिर के द्वार बंद रहते हैं और इस 3 दिन के बीच में नदी का जो लाल पानी निकलता है उसे भक्तों के बीच वितरित किया जाता है. आप जानकर चौंक जाएंगे कि बाकी तीर्थ स्थलों के मुकाबले यहां पर जो प्रसाद बांटा जाता है वह काफी अलग होता है. यहां प्रसाद के रूप में भक्तों को लाल रंग का गीला कपड़ा दिया जाता है.

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