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जब हैदराबाद हो गया था भारत से अलग, सरदार पटेल के सहयोग से हुआ भारत में शामिल.

फोकट का ज्ञान

जब हैदराबाद हो गया था भारत से अलग, सरदार पटेल के सहयोग से हुआ भारत में शामिल.

इसी के बाद सरदार पटेल की एंट्री होती है, क्योंकि इस वक्त तक उनके पास लॉर्ड माउंटबेटन की चिट्ठी पहुंच चुकी होती है, जिसमें यह बताया जाता है कि हैदराबाद के पास भारत के विलय के अलावा कोई और विकल्प नहीं है. अगर हैदराबाद का विलय हो जाता है तो उन राज्यों के साथ अन्याय होगा, जो पहले से भारत में विलय के लिए तैयार हो चुके हैं. इसके बाद निजाम ने पाकिस्तान की तरफ देखना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे निजाम के पैतरे से सरदार पटेल तंग आ चुके थे. कुछ समय बाद निजाम ने भारतीय करेंसी को हैदराबाद में बंद कर दिया और यह काफी हद हो गई थी जिसके बाद सरदार पटेल ने “ऑपरेशन पोलो” की शुरुआत की, जिसके बाद भारत सरकार ने सेना भेजी और फिर हैदराबाद भारतीय संघ में शामिल हो गया।

हैदराबाद की स्थापना उमीर कमरुद्दीन द्वारा की गई थी. उस वक्त हैदराबाद भारत के अमीर राज्यों में से एक माना जाता था, क्योंकि उस वक्त 1.6 करोड़ की आबादी वाले हैदराबाद का वार्षिक राजस्व ₹26 हजार करोड़ से भी ज्यादा हुआ करता था. उस वक्त जब भारत आजाद हुआ था तब से ही निजाम ने हैदराबाद को अलग रखने की चाल चलनी शुरू कर दी थी, जब निजाम ने लॉर्ड माउंटबेटन के पास अपने प्रतिनिधि भेजे तो उन्होंने यह साफ शब्दों में कह दिया कि वह भारत और पाकिस्तान को हैदराबाद का हिस्सा नहीं बनने देगा. उस वक्त लॉर्ड माउंटबेटन ये अच्छे से जानते थे कि 15% जनसंख्या होने के बावजूद हैदराबाद में लगभग सभी प्रशासनिक पदों पर बड़े और विशेष समुदाय के लोग काबीज थे.

कहा जाता है कि यह फैसला इसलिए लेना पड़ा, क्योंकि इसमें पहले निजाम ने हैदराबाद को अलग स्वतंत्र करने का फैसला ले लिया था.
21 जून 1948 को लॉर्ड माउंटबेटन ने गवर्नर के पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद देखा गया कि इसके साथ ही हैदराबाद सल्तनत के पिट्ठुओं ने हिन्दुओं पर आतंक बरपाना शुरू कर दिया.पुलिस के साथ मिल कर समुदाय विशेष, रज़ाकारों ने हिन्दुओं को लूटा।
हिन्दू हैदराबाद राज्य की सीमा से बाहर भगाने लगे। इसमें वामपंथियों ने भी उनका साथ दिया। कॉन्ग्रेस के 10,000 कार्यकर्ताओं को जेल में बंद कर दिया गया.यहाँ तक कि इस राज्य से गुजरने वाली ट्रेनों पर आक्रमण किए जाने लगे.

कासिम रिजवी जिसने यह कहा था कि अगर भारत की सरकार हैदराबाद मामले में दखल देती है तो उसे 1.5 करोड़ हिंदुओं की हड्डी और राख मिलेगी, जिसके बाद सरदार पटेल को गुस्सा आ गया और उन्होंने कहा की स्वतंत्रता सेनानियों के खून पसीने से बने भारत को किसी की वजह से बर्बाद नहीं होने दिया जाएगा.

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