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नेपाल के पशुपति नाथ मंदिर की कहानी.. महादेव के पशुपति नाथ रूप का रहस्य.
13वीं सदी में इस मंदिर का निर्माण किया गया था, जिसके गर्भगृह में पंचमुखी शिवलिंग है. कहा जाता है कि इस प्रकार का विग्रह दुनिया में कहीं और नहीं है. सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि इस मंदिर के निर्माण का किसी तरह से कोई प्रमाण नहीं मिल पाया है जिससे कई बार इस मंदिर को नष्ट किया गया और कई बार इसका पुनर्निर्माण किया गया, लेकिन हिंदू पुराणों के अनुसार इसका इतिहास हजारों साल पुराना है.
अगर इसके इतिहास पर चर्चा करें तो कहा जाता है कि जब भगवान शिव ने यहां पहुंचकर एक चिकारी का रूप धारण किया और फिर गहरी नींद में सो गए फिर जब भगवान शिव वाराणसी में भी देवी देवताओं को नहीं मिले तो सभी देवताओं ने उन्हें ढूंढना शुरू कर दिया, तब जाकर भगवान शिव बागमती के किनारे मिले, जब वहां से देवताओं ने उन्हें वापस ले जाने की कोशिश की तब इस बीच चिकारी के रूप में भगवान शिव ने बागमती नदी के दूसरे किनारे की ओर छलांग लगा दी और इसी दौरान उनके सिंग चार टुकड़ों में टूट गए. इसी वक्त भोलेनाथ चतुरमूर्ख के रूप में यहां प्रकट हुए थे
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देखा जाए तो इस मंदिर में भगवान शिव की सेवा करने के लिए 1747 में नेपाल के राजाओं ने भारतीय पंडित को आमंत्रित किया था. यह मंदिर हर तरह से पावन माना जाता है, जो सुबह 4:00 बजे से लेकर रात 9:00 बजे तक अपने भक्तों के लिए खुला रहता है. इसके अलावा आप देख सकते हैं कि पूरे मंदिर के परिसर में भी लोगों की घूमने के लिए अच्छी खासी व्यवस्था की गई है.
नेपाल का पशुपतिनाथ मंदिर जो कि बागमती नदी के किनारे काठमांडू में स्थित है. यह मंदिर इतना भव्य है कि यहां पर देश-विदेश और दूर-दूर से काफी पर्यटक घूमने आते हैं. इतना ही नहीं इस मंदिर को लेकर कई इतिहास और पौराणिक मान्यता है जिस वजह से यह मंदिर और भी प्रचलित हो जाता है. इस मंदिर के पशुपतिनाथ नाम पड़ने के पीछे एक बड़ी वजह सामने आती है जहां बताया जाता है कि पशु का मतलब प्राणी या जीव और पति का अर्थ मालिक या भगवान….. इसका पूर्ण रूप से मतलब होता है जीवन का मालिक.