फोकट का ज्ञान

भारत चीन के बीच हुए युद्ध की कुछ रोचक बातें ।

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भारत और चीन के बीच जो 20 अक्टूबर 1962 के दौरान युद्ध हुआ था उस वक्त की अगर कुछ रोचक बातो पर एक नजर डालेंगे तो शायद आप भी चौंक जाएंगे, क्योंकि हमने अभी तक यही सुना था कि हमारे भारतीय सैनिक ने लद्दाख के एलएसी पर चीनी सैनिकों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था, पर यह किसी को नहीं पता है कि बिना किसी तैयारी के हमारे भारतीय सैनिक वहां लद्दाख के एलएसी पर भेजे गए थे.
ना ही तो सैनिकों ने किसी तरह से युद्ध की तैयारी की थी और ना ही चीनी सैनिकों का सामना करने के लिए भारतीय सैनिकों के पास हथियार उपलब्ध थे.

बर्फीली जगह पर युद्ध लड़ने वाले भारतीय सैनिक के पास जूते, गर्म कपड़े तक भी नहीं थे. वहीं दूसरी ओर चीनी सैनिक पूरी तरह से आधुनिक हथियार के साथ तैनात थे. 20 अक्टूबर 1962 का यही दिन था जब चीनी भाइयों ने भाईचारे शब्द को खत्म करते हुए भारतीयों पर हमला करने की रणनीति बनाई थी. भारत और चीन के बीच यह जंग अधिकतर 14000 फुट ऊंचाई पर लड़ा गया था, जिसमें कई भारतीय सैनिक केवल इसलिए मारे गए क्योंकि वहां इस तरह से मौसम ठंड था कि वह इस स्थिति को बर्दाश्त नहीं कर पाए.
एक तरफ भारत देश के लगभग 10 से 12000 सैनिक युद्ध में थे तो वहीं दूसरी ओर चीन की तरफ से 80000 सैनिक इस युद्ध में कूद पड़े थे, लेकिन बाद में यह लड़ाई भारत और चीनी सरहद के 3225 किलोमीटर हिमालय क्षेत्र के लिए शुरू हो गई थी.

अनुमान के अनुसार बताया जाए तो इस युद्ध में हमारे 1383 सैनिक शहीद हुए और 1047 सिपाही जख्मी हुए थे. इस पूरे युद्ध की सबसे रोचक और खास बात यह है कि दोनों देशों के सैनिकों में से किसी ने भी नौसेना या वायु सेना का इस्तेमाल नहीं किया था. यह युद्ध केवल जमीनी स्तर पर होकर रह गई.

यह वही क्षण था जिसने पंडित जवाहरलाल नेहरू को भी एक बार अपने विचार पर मंथन करने पर विवश कर दिया, जिसके बाद भारत में देशभक्ति की एक ऐसी लहर चली कि सब ने भारतवासी को एक कर दिया.
इस बीच युद्ध के कुछ ही महीनों के बाद मशहूर गायिका लता मंगेशकर का एक गाना “ऐ मेरे वतन के लोगो” गाया गया था जिसे सुनकर पूरे भारतवासी सहित नेहरू की आंखों में भी आंसू आ गए.

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