किस्सा- कहानी
जलियांवाला बाग में आखिर क्या और क्यों हुआ.. जानिए हर एक पहलू.
जलियांवाला बाग में आखिर क्या और क्यों हुआ.. जानिए हर एक पहलू.
13 अप्रैल 1919 का दिन कोई भी भारतीय कभी भी नहीं भूल सकता है. यह कहानी है आज से 100 साल पहले की जब अंग्रेजों की क्रूरता की वजह से हजारों लोग बेरहमी से मारे गए थे.
13 अप्रैल 1919 जिस दिन बैसाखी का त्यौहार था, जिसे मनाने के लिए जलियांवाला बाग में हजारों भारतीय इकट्ठा हुए और बहुत खुशी एवं शांति के साथ सभा चल ही रही थी कि उसी बीच इकलौते रास्ते से अंग्रेजी सेना वहां पहुंच गई. इसका नेतृत्व जनरल डायर द्वारा किया जा रहा था.
लोगों को संभालने का मौका भी नहीं मिला और अंधाधुंध गोलियां की बौछार शुरू हो गई. इसके बाद पूरी तरह से उस सभा में भगदड़ का माहौल हो गया. लोग इधर-उधर भागने लगे, जिसे जहां तहां जगह मिली वहां से कूदना शुरू हो गया, पर कहा जाता है कि उस सभा की ऊंची दीवार होने के कारण किसी को भी वहां से भागने का रास्ता नहीं मिल पाया था.
गोली लगने के बाद कुछ लोग एक दूसरे पर गिरने लगे. बहुत सी औरतों ने अपने बच्चों की जान बचाने के लिए कुएं में छलांग लगा दी, लेकिन वह भी नहीं बच पाई, क्योंकि कुएं में दम घुटने के कारण भी उन लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें हजारों लोगों को बेरहमी से मारा गया था.
सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि हजारों मासूम लोगों की मौत का जिम्मेदार जनरल डायर को इस तरह की हरकत के लिए केवल उसे अपने पद से हटाया गया. इसके अलावा उसे कोई कड़ी सजा नहीं दी गई.
बाद में उल्टा भारतीयों पर यह इल्जाम लगाया गया कि वह लोग वहां बैसाखी मनाने नहीं बल्कि रौलट एक्ट का विरोध करने के लिए पहुंचे थे. आज जब भी इस घटना का जिक्र होता है तो हर किसी की आंखें नम हो जाती है.