किस्सा- कहानी

अंग्रेजी सरकार द्वारा दी जाने वाली काला पानी की सजा क्या होती थी.

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अंग्रेजों के शासन में काला पानी की सजा वह सजा जानी जाती थी जिसके नाम से ही कैदी की रूह कांप जाती थी. इसके पीछे काफी सालों पुरानी एक कहानी है. कहा जाता है कि एक जेल जो अंडमान निकोबार द्वीप में स्थित है वहां पर अंग्रेजों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को यहां रखा जाता था.


बता दें कि यह ऐसा जेल था जो भारत से हजारों किलोमीटर की दूरी पर बना हुआ था. अब आप सोच रहे होंगे कि इस जेल में रहने वाले कैदियों को जो सजा दी जाती थी उसे काला पानी की सजा क्यों कहते थे, तो बता दें कि इसका अर्थ संस्कृत शब्द से जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि काला पानी शब्द का अर्थ होता है मृत्यु का स्थान जहां से लौटकर कोई भी वापस नहीं आ सकता है. हालांकि इस जेल का नाम अंग्रेजो की तरफ से सेल्यूलर जेल रखा गया था.

इस जेल में भारत के स्वतंत्रता सेनानियों पर अंग्रेजों द्वारा अत्याचार किया जाता था. इस जेल में कुल लगभग 700 कोठरिया हुआ करती थी और यह कोठरिया दूरी- दूरी पर हुआ करती थी, ताकि कोई भी कैदी एक दूसरे से संपर्क ना रख सके और ना ही किसी तरह की कोई बातचीत कर सकें.
सबसे चौंकाने वाली बात बता दें कि इस जेल के आसपास केवल समुद्र ही समुद्र था. अगर कोई कैदी यहां से भाग भी जाए तो भी उसका मरना तय होता था, क्योंकि इस लंबे समुद्र को पार करना किसी के बस की बात नहीं थी.

यह जेल भारतीय इतिहास में एक काला अध्याय के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यहां भारतीयों को फांसी की सजा तो दी ही गई थी लेकिन कई ऐसे भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जो कई अन्य और दूसरे कारण से यहां पर मारे गए थे.
यहां पर कई कैदी ने तो अकेलेपन का शिकार होकर मौत को गले लगा लिया.

जिस जेल में भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को काला पानी की सजा दी जाती है, इसका निर्माण 1906 में पूरा हो चुका था, जो पूरी तरह लाल ईंटों से बना था.

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