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जब बिहार औऱ उड़ीसा थे एक ही राज्य, जाने कैसे हुआ विभाजन.

फोकट का ज्ञान

जब बिहार औऱ उड़ीसा थे एक ही राज्य, जाने कैसे हुआ विभाजन.

बुद्ध, महावीर और गुरु नानक की धरती कहलाने वाला बिहार आजादी के बाद भी कई बार विभाजन का सामना कर चुका है. बिहार की भूमि नदियों और कृषि के लिए सबसे प्रमुख मानी जाती है. उसका क्षेत्रफल 94163 वर्ग किलोमीटर है. बिहार में 9 प्रमंडल तथा 38 जिले हैं, जिसमें 45103 गांव और 8471 पंचायतें हैं. बिहार जिसका प्राचीन नाम मगध था, उसे पहले तो 22 मार्च 1912 को बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग करके एक राज्य बनाया गया, जिसके बाद 1935 में बिहार से उड़ीसा को अलग किया गया.

कहा जाता है कि अपने पड़ोसी राज्यों की तुलना में उच्च शिक्षा के मुकाबले बिहार अति पिछड़ा हुआ था .

उड़ीसा के अलग गठन होने की रोचक कहानी है. कहा जाता है कि ब्रिटिश सरकार ने उड़िया भाषी प्रांतों को मध्य प्रांत जो कि आज मध्यप्रदेश के रूप में स्थापित है वहां से जोड़ कर उन पर हिंदी भाषा को अनिवार्य करने का दबाव बनाया, जिसके विरोध में लोगों ने आवाज उठाई तब जाकर 1869 में बाल गंगाधर तिलक आगे आए और उन्होंने कहा कि देश में स्वतंत्रता के साथ-साथ प्रांतों में रहने वाले लोगों और उनकी भाषा को भी बढ़ावा मिलेगा.

साल 1903 की बात आपको बता दें कि उड़िया भाषा की सुरक्षा एवं राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक विकास के लिए एक उत्कल सम्मेलनी का गठन किया गया था, जिसके बाद इस भाषा को लेकर जागरूकता अभियान चलाया गया और इसी भाषा के आधार पर उत्तकल प्रांत के गठन की प्रक्रिया और तेज हो गई.



1920 में उत्कल सम्मेलनी की ओर से कांग्रेस अधिवेशन में ओड़िया को भाषा आधारित एक राज्य बनाने का प्रस्ताव दिया गया, जिस प्रस्ताव पर 1 अप्रैल 1936 को मुहर लगी और इसी के साथ ओडिशा एक स्वतंत्र भाषा के आधार पर अलग राज्य घोषित कर दिया गया.
इससे पहले उड़ीसा बंगाल एवं बिहार का हिस्सा हुआ करता था.

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