किस्सा- कहानी

भारत-पाकिस्तान बंटवारे की कहानी, जब दोनों देश में था दहशत का माहौल.

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भारत-पाकिस्तान का बंटवारा केवल जमीनी बटवारा होता तो शायद लोगों की आंखों से आंसू न निकलते पर यह बंटवारा अपनों से जुदा होने का, अपना आशियाना छोड़ने का था, जिसने हर किसी को रुला दिया था. जब भी आजादी की बात आती है तो हमारा सीना गर्व से चौड़ा जरूर हो जाता है पर इस आजादी के साथ जो बटवारा भारत-पाकिस्तान ने रखा था वो जहर के किसी घुट से कम नहीं था. आइए आपको अतीत की वह काली रात तक ले चलते हैं जिस दिन यह फैसला लिया गया था.

लगभग आधी रात का समय होगा जहां 15 अगस्त 1947 को भारत और पाकिस्तान अलग स्वतंत्र देश बना. वही दूसरी ओर सत्ता परिवर्तन की रस्म पाकिस्तान में 14 अगस्त को ही हो गई थी, पर क्या आप जानते हैं कि आखिर विभाजन का ख्याल किसे और क्यों आया?
यह साल 1933 की बात है जब कैंब्रिज के छात्र रहे रहमतुल्लाह चौधरी ने पाकिस्तान का नाम सुझाया था, जिसके कुछ सालों बाद मोहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान को लेकर एक अलग मुल्क की मांग रखी थी, जिनके प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए 1947 की तत्कालीन सरकार लॉर्ड माउंटबेटन के विभाजन प्रस्ताव को जिंन्ना और कांग्रेस की ओर से मंजूरी दी गई.

आपको शायद यह पता नहीं होगा कि उसी साल जुलाई के महीने में ब्रिटिश पार्लियामेंट में “इंडिया इंडिपेंडेंस एक्ट” पारित किया गया था, जिसके बाद 14 अगस्त को पाकिस्तान और 15 अगस्त को Bharat दो टुकड़ों में बट गया. हमारे भारत को साल 1950 में भारतीय गणराज्य का दर्जा मिला. वही 1956 को यह पहली बार हुआ था जब धर्म के आधार पर पाकिस्तान एक अलग मुल्क बना था.
भारत-पाकिस्तान का विभाजन जब हुआ तब दोनों देशों में दहशत का माहौल था. वह तस्वीरें इतनी खौफनाक थी कि किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे. लाखों लोगों को इस विभाजन के कारण विस्थापित होना पड़ा. इतना ही नहीं दोनों देशों के विभाजन के बाद एक बड़ी हिंसा भी हुई जिसमें 500000 से भी ज्यादा लोग मारे गए और जो लोग बचे उन्होंने अपना मुल्क, अपना आशियाना छोड़कर सड़कों पर रहना शुरू कर दिया.

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