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बाघा- अटारी बॉर्डर पर क्यों और कब से होता है परेड –

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अमृतसर और लाहौर के बीच स्थित अटारी बॉर्डर पर होने वाले परेड की ऐसी चर्चा है कि लोग इस परेड को देखने के लिए काफी दूर से आते हैं, जिसमें वहां के स्थानीय लोग और कई पर्यटक भी शामिल होते हैं, पर क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों और कब से यह परेड अटारी बॉर्डर पर किया जा रहा है.

यह परेड साल 1959 से लगातार अभी तक हो रहा है. कहा जाता है कि दोनों देशों के बीच रहने वाले गहमागहनी को कम करने के लिए इस परेड की शुरुआत की गई थी, जिस मौके पर आप एक तजुर्बे से भरे जवान को परफॉर्म करते देखेंगे, जो अपनी दाढ़ी और मूंछ पर ताव देते नजर आते हैं. अटारी बॉर्डर भारत-पाकिस्तान के बीच एकमात्र सीमा रेखा कहलाती है, जहां पर सड़क, विस्तृत निर्माण और अवरोध बने हुए हैं. हर शाम यहां पर एक रंगारंग समारोह की तरह परेड होता है, जिसमें हम लगभग 30 मिनट तक का आक्रमक परेड देखते हैं.


यह परेड सूरज डूबने से पहले किया जाता है, जो ड्रम और बिगुल बजने के साथ शुरू होता है, जिसमें दोनों देशों की ओर से अपने-अपने नारे लगाए जाते हैं.

जब यह परेड शुरू होने वाला होता है तब दोनों ओर देशभक्ति गीतों से पूरा माहौल गूंज जाता है और कुछ इस तरह से सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता है कि लोग वहां पर घंटों बैठने के लिए तैयार हो जाते हैं.यही वजह है कि इस कार्यक्रम के लिए लोग काफी रूप से वहां भ्रमण करने भी जाते हैं. यह एक ऐसा कार्यक्रम होता है जिसमें दोनों देश अपनी- अपनी देशभक्ति का प्रदर्शन करते नजर आते हैं.
अटारी बॉर्डर पर होने वाली परेड के दौरान आप भारतीय जवानों को खाकी जबकि पाकिस्तान के जवान को काले रंग की वर्दी में देख सकते हैं.

कहा जाता है कि 8 जुलाई 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन ने सिरील रेटक्लिफ को भारत बुलाया था और उन्हें धर्म के आधार पर बॉर्डर बनाने का कार्य सौंपा गया था और महज दो हफ्तों में ही उन्होंने यह काम पूरा किया, जहां एक ओर Bharat और दूसरी और पाकिस्तान के बॉर्डर का निर्माण किया गया.

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