गरम मुद्दा

इंदिरा गांधी और मेनका गांधी के रिस्तों में क्यों आयी खटास – भारतीय राजनीति का चर्चित क़िस्सा.

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मेनका गांधी जो संजय गांधी की पत्नी थी उनके और इंदिरा गांधी के बीच विवाद तब शुरू हुआ जब से वह गांधी परिवार का हिस्सा बनी और यह विवाद और तेजी से तब बढ़ गया जब संजय गांधी की मौत दुर्घटना के कारण हुई. हालांकि दोनों के बीच विवाद की पहली शुरुआत तब से हुई थी जब गांधी परिवार में मेनका गांधी ने छोटी बहू के रूप में कदम रखा था.


एक तरफ सोनिया गांधी जिसने इटली से आकर एक भारतीय नारी की तरह अपने परिवार और बच्चों को संभालना शुरू कर दिया और इंदिरा गांधी को मम्मी जी- मम्मी जी कहकर बुलाने लगी, पर मेनका वैसी नहीं थी उन्हें सुर्खियों में रहना बेहद पसंद था, लेकिन शादी के बाद मेनका गांधी की दुनिया बदल गई. इंदिरा गांधी ने उनके सामने शर्त रखी की शादी एक ही शर्त होगी जब वह अपने मॉडलिंग की दुनिया को अलविदा कहेंगी.

मॉडलिंग की दुनिया को मेनका गांधी ने उस परिवार के लिए अलविदा तो कह दिया पर बाद में किसी तरह से वह उस परिवार में संतुलन नहीं बना पाई और फिर यहीं से इंदिरा गांधी और मेनका गांधी के बीच विवाद की शुरुआत हुई थी.

एक बार वो वह समय भी आ गया जब दोनों के बीच धीरे-धीरे दरार इस प्रकार बढ़ गई कि सोनिया गांधी जो इंदिरा गांधी को मम्मी जी कहकर बुलाती थी वह उनकी पहली पसंद बन गई. आपको बता दें कि इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी के निधन के बाद उनका झुकाव मेनका गांधी की तरह थोडा़ जरूर हुआ था जो कि स्वाभाविक है, लेकिन जब संजय गांधी का निधन हुआ तो इंदिरा गांधी यह चाहती थी कि उनकी छोटी बहू मेनका गांधी राजनीति में उनकी मदद करें क्योंकि उन्हें राजनीति की काफी अच्छी समझ थी, पर यह बात सोनिया गांधी को बिल्कुल भी रास नहीं आई. सोनिया गांधी ने यह साफ- साफ कह दिया कि अगर मेनका गांधी को राजनीति में लाया जाता है तो वह पूरे परिवार के साथ वापस इटली चली जाएगी.

आपको चौंकाने वाली बात बता दे कि संजय गांधी जो कि मेनका से उम्र में 10 साल बड़े थे. दोनों की शादी के लिए इंदिरा गांधी बिल्कुल भी राजी नहीं थी. इसके पीछे एक बड़ी वजह यह भी थी कि मेनका गांधी मॉडलिंग करती थी, जो इंदिरा गांधी को बिल्कुल भी पसंद नहीं आता था, लेकिन मेनका के जीवन में वह दौर भी आया जब उन्हें गांधी परिवार से बाहर निकाल दिया गया था.
जब संजय गांधी की मौत हुई तब मेनका अपने आप को संजय गांधी का उत्तराधिकारी मानने लगी और पूरी तरह से वह संजय गांधी की जगह लेने को तैयार हो चुकी थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. राजनीतिक विरासत राजीव गांधी के हाथ में जा पहुंची और इसी के साथ-साथ इंदिरा गांधी ने मेनका गांधी को घर से बाहर निकाल दिया, जिसके बाद कांग्रेस परिवार की एक बहू की भाजपा में शामिल होने की कहानी शुरू होती है.

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