भारतीय सेना में परमवीर चक्र वह सम्मान माना जाता है जिसका ख्वाब हर कोई देखता है. यह भारत का सर्वोच्च वीरता सम्मान पुरस्कार है, जो वैसे लोगों को दिया जाता है जो बिना डरे दुश्मन के सामने अपने अद्वितीय साहस और धैर्य का परिचय दिखाता है उसे यह सम्मान से नवाजा जाता है. इसकी शुरुआत 26 जनवरी 1950 से हुई थी. यह सम्मान मरणोपरांत भी दिया जाता है. आइए परमवीर चक्र से जुड़ी कुछ खास और रोचक बातों पर गौर करते हैं.
परमवीर चक्र का अर्थ होता है वीरता का चक्र जिसे अमेरिका के “सम्मान पदक” तथा यूनाइटेड किंगडम के “विक्टोरिया क्रॉस” के बराबर का दर्जा प्राप्त है, जिनभी लोगों को परमवीर चक्र से सम्मानित किया जाता है उन्हें कई तरह की मदद सरकार द्वारा दी जाती है. सैनिक अपने और अपने परिवार के सभी सदस्यों का इलाज अस्पताल में आसानी से करा सकते हैं. इसके अलावा उन्हें मकान और जमीन खरीदने में कई तरह से सरकार मदद करते हैं. सबसे खास बात यह है कि परमवीर चक्र सेवा की निर्धारित अवधि पूरी होने पर सामान्य रूप से रिटायर होने के बाद उन्हें पेंशन भी प्रदान की जाती है, जिन्हें हर महीने ₹ 10000 आर्थिक सहायता के लिए दी जाती है. वही देखा जाए तो यात्रा से लेकर उन्हें कई तरह का आरक्षण भी दिया जाता है.
कोई ऐसा सैनिक जिसे एक बार परमवीर चक्र से सम्मानित किया जा चुका है और दोबारा उसने ऐसा कुछ कर दिखाया है जिसके बाद उसे परमवीर चक्र के लिए अगर चुनाना जाता है तो ऐसी परिस्थिति में उसका पहला परमवीर चक्र निरस्त करके उसे रिबैंड दिया जाता है.
परमवीर चक्र वायुसेना, नौसेना, सेना के साथ-साथ रिजर्व बल प्रादेशिक नागरिक सेना अथवा विधि द्वारा स्थापित किसी भी सशस्त्र बल के सभी पुरुष या महिला सैनिक अधिकारियों को दिया जा सकता है. इसके अलावा अस्थाई तौर पर जो पुरुष और महिलाएं काम कर रही है जिसमें हमारे अस्पताल के डॉक्टर, नर्स और कई कर्मचारी शामिल है उन्हें भी परमवीर चक्र से सम्मानित किया जाता है.
जिन्हें भी परमवीर चक्र दिया जाता है उसके पृष्ठ भाग पर हिंदी और इंग्लिश दोनों ही भाषाओं से परमवीर चक्र लिखा होता है. इसके बनावट कांसे की होती है, जो गोलाकार रूप में होता है जिसका व्यास 1.38 इंच का होता है. दोनों भाषाओं के बीच में एक कमल का फूल खिला होता है और ऊपरी हिस्से पर एक छल्ला सा बना होता है, जो देखने में बेहद ही खूबसूरत लगता है.