किस्सा- कहानी

बाबरी मस्जिद जिस दिन गिराई गई उस दिन क्या-क्या हुआ –

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देश के इतिहास का वह दिन जब 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया था. वह दिन या उसके आगे का दिन आसान नहीं था. उसके बाद जिस प्रकार देश दो हिस्सों में बट गया उसकी किसी को उम्मीद नहीं थी. 5 दिसंबर की सुबह की बात है जब अचानक बाबरी ढांचे के पास काफी लोग इकट्ठा होने शुरू हो गए और अचानक लाखों की भीड़ उग्र रूप में पहुंच गई और महज कुछ ही घंटों में लाखों की भीड़ ने बाबरी ढांचे को ध्वस्त कर दिया और शाम तक आसमान में लहराने वाली बाबरी मस्जिद जमीन पर ध्वस्त पड़ी थी.


इसके बाद तो जैसे देश में दंगे की आग भड़क उठी और दंगा इस कदर बढ़ गया कि 2000 से भी ज्यादा लोग इसमें मारे गए थे और कई नामजद चेहरों पर एफ आई आर दर्ज की गई थी, जिसमें हमारे लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, चंपत राय, कमलेश त्रिपाठी सहित भाजपा के कई अन्य नेता भी शामिल थे.

यह मामला साल 1949 से शुरू होता है जब बाबरी मस्जिद के अंदर भगवान राम की मूर्ति अचानक प्रकट हो गई थी. अब यह मूर्ति प्रकट हुई या उसे किसी ने वहां रख दिया यह बात आज तक स्पष्ट नहीं हो पाई है पर इसके बाद जमकर दंगा फसाद और विरोध प्रदर्शन हुआ, जहां मुस्लिम और हिंदू दोनों पक्षों ने कोर्ट में केस दर्ज की इसके बाद काफी वक्त तक मामला कोर्ट में चलता रहा और सरकार ने इस जगह को विवादित घोषित करके यहां पर ताला लगा दिया.

जब बाबरी मस्जिद को विध्वंस किया गया था तो इसके बाद देश में अलग-अलग जगहों पर दंगे और विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए और 1853 में पहली बार ऐसा हुआ था जब मंदिर और मस्जिद के मुद्दे को लेकर हिंदू- मुस्लिम में लड़ाई हुई और स्थिति इस प्रकार बिगड़ गई की नरसिम्हा राव ने बीजेपी शासन वाले चार राज्य सरकारों को बर्खास्त कर दिया था, जिसमें यूपी, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश शामिल था और इन सभी जगहों पर राष्ट्रपति शासन लागू करवा दिया गया.


बाबरी मस्जिद को लेकर यह कहा जाता है कि मुगल शासक रहा बाबर ने मीर बाकी से अयोध्या में मस्जिद का निर्माण कराया था. यही वजह है कि इसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता है.

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