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नोबेल पुरस्कार से जुड़ी अनोखी बातें, जानिये कब से और क्यों हुई शुरुआत –

फोकट का ज्ञान

नोबेल पुरस्कार से जुड़ी अनोखी बातें, जानिये कब से और क्यों हुई शुरुआत –

नोबेल पुरस्कार जो एक बेहद ही प्रतिष्ठित और बड़े पुरस्कारों में से एक माना जाता है. इसका नाम सुनते ही हर किसी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है, जिस- जिस शख्स को यह पुरस्कार दिया जाता है वह बेहद ही गर्व महसूस करता है. इस पुरस्कार का नाम अल्फ्रेड नोबेल के नाम को हमेशा जीवित रखने के लिए उन्हीं के नाम पर रखा गया था, जिन्होंने डायनामाइट का आविष्कार किया था. नोबेल फाउंडेशन की तरफ से पहली बार साल 1901 में इस पुरस्कार को रेडक्रॉस के संस्थापक ज्यां हैरी दुनांत को दिया गया था और यहीं से पूछ कर यह पुरस्कार उन लोगों के बीच वितरित करने की शुरुआत हुई और लोगों को अलग-अलग क्षेत्रों में सम्मानित किया जाने लगा जो मानव जाति को सबसे बड़ा फायदा पहुंचाते हैं. मुख्य रूप से देखा जाए तो नोबेल पुरस्कार साहित्य, भौतिकी, शांति, रसायन, चिकित्सा, विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में दिया जाता है.

पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए एक मेडल एक डिप्लोमा और मॉनेटरी अवार्ड के साथ 1100000 डॉलर की राशि भी दी जाती है.

नोबेल पुरस्कार की शुरुआत कब हुई थी इस विषय को लेकर एक बेहद ही रोचक कहानी है. अल्फ्रेड नोबेल जिनकी याद में यह पुरस्कार दिया जाता है 1896 में उनकी मृत्यु हुई थी, जिस से पहले उन्होंने अपनी संपत्ति का हिस्सा एक ट्रस्ट के नाम सुरक्षित कर दिया था और उनकी आखिरी इच्छा यह है कि उनकी संपत्ति से हर साल उन लोगों को सम्मानित किया जाए जिनका काम मानव जाति के लिए सबसे ज्यादा कल्याणकारी साबित हो रहा है. इसी के आधार पर अलग-अलग क्षेत्रों में लोगों की योगदान को देखते हुए उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है.

अगर देखा जाए तो नोबेल पुरस्कार पाने वाले व्यक्ति सबसे ज्यादा अमेरिका के हैं फिर दूसरे नंबर पर जर्मन, तीसरे पर ब्रिटेन और चौथे पर फ्रांस है और फिजिक्स के क्षेत्र में सबसे ज्यादा नोबेल पुरस्कार अभी तक दिए जा चुके हैं.


एक साथ जॉइंट रूप से ज्यादा से ज्यादा तीन लोगों को नोबेल पुरस्कार दिया जा सकता है. हर साल अक्टूबर के महीने में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किए जाने वाले लोगों का चयन किया जाता है, जिन्हें अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि 10 दिसंबर पर नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है.

यह एक ऐसा पुरस्कार है जो मरणोपरांत भी दिया जाता है. आपको एक विशेष बात बता दे कि अल्फ्रेड नोबेल ने मरने से पहले रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेस को यह जिम्मेदारी सौंपी थी कि वह नोबेल पुरस्कार विजेता का चयन करेंगे और इसके लिए पांच व्यक्तियों की समिति बनाई जाएगी और लोगों को सम्मानित किया जाएगा.

नोबेल पुरस्कार पाने के लिए आपको इसके लिए नामांकन करना होता है और सबसे रोचक बात बता दे कि नामांकन करने के लिए वाली व्यक्ति की जानकारी 50 साल बाद भी पूरी तरीके से गुप्त रखी जाती है नामांकन की प्रक्रिया सितंबर महीने से शुरू होती है फरवाही समाज महीने के बीच लिस्ट पूरी तरह तैयार हो जाता है

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