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अनंत चतुर्दशी की पूजा का इतिहास, क्यों होती है यह खास पूजा –

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अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है जिस दिन अनंत सूत्र बांधा जाता है और ऐसा कहा जाता है कि इस सूत्र को पहनने के बाद 14 दिनों तक शराब, लहसुन, प्याज या मांसाहारी भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए. आइए आपको बताते हैं अनंत चतुर्दशी से जुड़े इतिहास के बारे में.

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष में चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है. अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस व्रत को अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है.अर्थात भगवान विष्णु को ही अनंत कहा जाता है. इस दिन पूजा करने के बाद जातक अपने दाहिने भुजा पर अनंत सूत्र बांधते हैं. इसकी खास बात यह है कि इसमें 14 गांठे बांधी जाती हैं. यह 14 गांठे बड़े ही विशेष तरीके से बनाई जाती है. इस दिन भगवान विष्णु के पूजन के साथ- साथ भगवान गणेश का विसर्जन भी होता है.इसी वजह से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है.

अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान श्री विष्णु के अनंत रूपों की पूजा होती है. भगवान विष्णु ने 14 लोक तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल ,पाताल, भु, भुअ, स्व, तप, सत्य, जन तथा महि की रचना की थी. यह 14 गांठे भगवान श्रीहरि के द्वारा उत्पन्न 14 लोको के प्रतीक है. ऐसी मान्यता है कि अगर इस व्रत को लगातार 14 वर्ष तक किया जाए व्रत्ति को भगवान विष्णु के लोक की प्राप्ति होती है. भगवान श्री सत्यनारायण की तरह अनंत देव भी भगवान विष्णु को कहते हैं. इसलिए अनंत चतुर्दशी के भगवान सत्यनारायण की व्रत की कथा का पाठ भी पढ़ा जाता है. इसके साथ ही अनंत देव की कथा भी सुनी जाती है.

महाभारत में जब पांडव जुए में सब कुछ हार गए थे तो दोबारा अपना राजपाट हासिल करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत करने के लिए कहा था. इसके अलावा यह मान्यता है कि भगवान विष्णु के इस रूप का ना तो आदि का पता है और ना ही अंत का इसलिए उनके इस रूप की पूजा करने से सारे दर्द और दुख मिट जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि अगर व्रत करने वाला व्यक्ति व्रत करने के साथ-साथ श्री विष्णु नामक पाठ का अध्ययन करता है तो उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

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