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भारत का नया संसद भवन,नई उम्मीदों और सपनों का मंदिर.

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भारत का नया संसद भवन,नई उम्मीदों और सपनों का मंदिर.


भारत के नए संसद भवन के रोचक तथ्य:
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद की आधारशिला साल 2020 में 10 दिसंबर को रखी. ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना से प्रेरित नया संसद भवन पूरी तरह नई सुविधाओं से लैस है. देश की जनता को समर्पित यह नया संसद भवन सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना कार्य का एक हिस्सा है. भारत की लोकतांत्रिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए इसके अंदर एक भव्य संविधान हॉल भी बनाया गया है. यह पूरी तरह से इको फ्रेंडली है. इसमें आपको 1700 से अधिक दरवाजे खिड़कियां और लगभग 92 कक्ष मिलेंगे. इस संसद भवन को गुजरात की एक कंपनी एचपीसी ने डिजाइन किया है, जो इस संसद भवन को पुराने भवन से काफी अलग और खास बनाती हैं.

आकृति और क्षेत्रफल
भारत के नए संसद भवन का आकार चतुर्भुज है जो कि वास्तविक रूप से एक षटकोण के रूप में नजर आता है. 65000 वर्ग मीटर में फैला नया संसद भवन चार मंजिला इमारत है, जिसके निर्माण में 60000 मजदूरों ने सहयोग किया है. इस नए भवन की संरचना तीन विषयों पर आधारित है, जिसमें राष्ट्रीय पक्षी मोर, राष्ट्रीय पुष्प कमल और राष्ट्रीय वित्त वृक्ष बरगद शामिल है. इस भवन को जिस तरह से डिजाइन किया गया है वह भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर से प्रेरित है.

लागत और आवश्यकता
नए संसद भवन के निर्माण में लगभग 862 करोड की लागत लगी है. यदि दोनों सदनों की एक साथ बैठक होती है तो नए भवन में एक वक्त में लगभग 1280 लोग बैठ सकते हैं. देखा जाए तो भविष्य में सीटों और संसद सदस्यों की संख्या में बढ़ोतरी को लेकर यह तैयार किया गया है, ताकि इसकी पूर्ति की जा सके. नए भवन के निर्माण में उपयोग की गई चीजों को देश के अलग-अलग हिस्सों से लाया गया है. इस कारण इसमें पूरे भारत की एक झलक नजर आती है. पुराने संसद भवन का निर्माण आजादी से पहले किया गया था. जिस वजह से पुराना संसद भवन भूकंप रोधक मापदंडों पर खरा नहीं उतरता है और उसे अत्याधुनिक मूलभूत जरूरतों और सुरक्षा मानकों के अनुसार नहीं बनाया गया था. इस वजह से देश के कई बड़े नेताओं ने नए संसद भवन की आवश्यकता जाहिर की थी.

विशेष आकर्षण
भारत के नए संसद भवन को लेकर यह धारणा है कि उसकी उम्र 150 साल है. इसमें 1280 सीटें होंगी. इस भवन के ऊपर बीचो-बीच राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ को स्थापित किया गया है. यह भवन पूरी तरह से पेपरलेस है जिसमें सारी की सारी स्मार्ट सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है. इस नए भवन में देश के सभी प्रधानमंत्रियों, भीमराव अंबेडकर, महात्मा गांधी, सरदार पटेल और चाणक्य की मूर्ति है. इस भवन की लाइब्रेरी में भारतीय संविधान की हिंदी और अंग्रेजी में हाथ से लिखी प्रतिलिपि नाइट्रोजन गैस से भरे चेंबर में सुरक्षित हैं. साल 1947 को जब हमारा देश आजाद हुआ तब एक अनोखी प्रक्रिया के तहत पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अंग्रेजी से सत्ता हस्तांतरण किया था. इसे अब नए संसद में स्थापित किया गया है. सोना या चांदी से बना यह एक ऐसा प्रतीक है जो शक्ति और अधिकार को दर्शाता है. इसे स्पीकर के आसन के पास स्थापित किया जाएगा. लॉर्ड माउंटबेटन ने 15 अगस्त 1947 को नेहरू को संगोल सौपां था. तब से संगोल की प्रक्रिया चल रही है. यह 5 फीट की लंबी छड़ी है जिसके ऊपर भगवान शिव के वाहन कहे जाने वाली नंदी विराजमान है. यह न्याय व निष्पक्षता को दर्शाता है.

नए संसद भवन में पवित्र संगोल की स्थापना के लिए मौजूद संत



नवीन तथ्य
भारत के नए संसद भवन की कई ऐसी खासियत है जो इसे और खास बनाती है. भवन के अंदर जाने के लिए 6 दरवाजे हैं और सभी दरवाजों पर बड़े-बड़े शब्दों में सत्यमेव जयते लिखा है. इतना ही नहीं जल, थल और नभ को समर्पित करते हुए तीनों मुख्य द्वार बनाए गए हैं. यह भवन पुराने संसद भवन से दोगुना बडा़ बताया जा रहा है. संसद भवन की दोनों सदन में सदस्यों के लिए बायोमेट्रिक की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है. जहां एक ओर गुजरात की कंपनी एचपीसी ने इसका डिजाइन तैयार किया है तो वहीं दूसरी ओर टाटा प्रोजेक्ट्स ने इसके निर्माण कार्य को पूरा किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन समारोह के दौरान अपने अभिभाषण में कहा कि नया संसद भवन मेक इन इंडिया का जीता जागता प्रमाण है.

नए संसद भवन के लोकसभा का निरीक्षण करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी.

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