गरम मुद्दा

मणिपुर में कैसे फैली हिंसा और जातीय संघर्ष की हकीकत.

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मणिपुर:जो मणिपुर पूरी दुनिया में अपने अलग-अलग प्रजातियों के लिए जाना जाता था, आज उसी प्रजातियों में खूनी जंग हो रही है. जिस मणिपुर को साल 1972 में राज्य का दर्जा मिला, अब वह कई कारणों से अलग-अलग हिस्सों में बटता नजर आ रहा है. इसने लोगों के दिलों में ऐसा खौफ पैदा कर दिया है कि शाम होते ही वह अपने घरों में दुबक जा रहे हैं. इस हिसें में कितने घर और दुकान जलकर खाक हो गए हैं. हिंसा प्रभावित क्षेत्र से अभी तक 30000 से ज्यादा लोगों को निकालकर राहत शिविरों में पहुंचाया गया है. मौजूदा समय में सेना की 55 टुकड़ियों को वहां पर तैनात किया गया है.

परिचय: दरअसल मणिपुर सरकार द्वारा पर्वतीय इलाकों में अवैध कब्जे पर कार्रवाई और अफीम की खेती पर शिकंजा कसने के कारण मणिपुर की यह हिंसा बढी़. सबसे पहले कुकी समुदाय के लोगों द्वारा इसकी शुरुआत हुई. 3 मई को यह हिंसा शुरू हुई थी जिसके बाद गाड़ियों को आग लगाया गया. परिस्थितियां इतनी खराब हुई कि वहां पर सैन्य बल को तैनात किया गया. हिंसा की शुरुआत चुराचंदपुर जिले से हुई लेकिन धीरे-धीरे यह कई जिलों में फैल गई. अब तक 54 लोगों की कुर्बानी इस हिंसा में दी जा चुकी है और 100 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं. मणिपुर की लौह महिला मानी जाने वाली इरोम चानू शर्मिला भले ही अब इस दुनिया में नहीं रही पर वह सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम को खत्म करने को लेकर 16 साल अनशन पर रही थी. कई बार जेल भी गई लेकिन वह कभी नहीं झुकी.

हाई कोर्ट का वह निर्णय जिसने मणिपुर में हिंसा फैला दी: मणिपुर हिंसा को भड़काने में हाईकोर्ट के एक फैसले ने आग में घी डालने का काम किया है. दरअसल हाईकोर्ट ने मेईति समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग को स्वीकार कर लिया. उसके बाद राज्य में हिंसा ने रौद्र रूप ले लिया और मेईति समुदाय निशाने पर आ गया. इतना ही नहीं लगभग 35000 लोगों को पलायन करना पड़ा था. कुकी और नागा समुदाय के पास आजादी के बाद सही आदिवासी का दर्जा है.

मणिपुर के प्रमुख जातियों का छोटा परिचय और उनकी मांग:मणिपुर में तीन प्रमुख समुदाय में बहुसंख्यक मेईति और दो आदिवासी समुदाय कुकी और नागा दो पक्षों के बीच आपसी अविश्वास रहने की सबसे बड़ी वजह यह है कि मेईति हिस्सेदारी राज्य की कुल आबादी का 53% है. यह आर्थिक और राजनीतिक रूप से सक्षम है. वहीं राज्य की 40% आबादी कुकी और नागा की है. दरअसल मणिपुर में मेईति समुदाय बहुसंख्यक वर्ग में आता है लेकिन इन्हें अनुसूचित जाति का दर्जा दिया गया. इसके बाद कुकी और नागा समुदाय का यह कहना है कि मेईति समुदाय तो बहुसंख्यक है, उसे यह दर्जा कैसे प्राप्त हो सकता है.

मणिपुर हिंसा से परेशान वहां के आम नागरिक।

केंद्र और राज्य सरकार द्वारा मणिपुर में शांति कायम करने के लिए किए जा रहे हैं विभिन्न प्रयास:मणिपुर में हिंसा इतनी बढ़ी है कि सरकार ने दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश दे दिया है. इस वक्त सरकार के आदेश के मुताबिक पूरे राज्य में 5 दिनों के लिए मोबाइल और इंटरनेट सेवा बंद है. जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती है लोगों को अपने घरों में रहने के निर्देश दिए गए हैं. सीआरपीएफ के 5 से अधिक उपमहानिरीक्षक रैंक के अधिकारियों और सात वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और एसपी रैंक के अधिकारी को हिंसा प्रभावित क्षेत्र में काम सौंपा गया है. राज्य प्रशासन के अलावा केंद्रीय सशस्त्र बल की 84 कंपनियों को भी तैनात किया गया.

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