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SPG कमांडो और NSG कमांडो के बीच कौन है ज्यादा घातक,जानिए दोनों के काम.

ओ तेरी..

SPG कमांडो और NSG कमांडो के बीच कौन है ज्यादा घातक,जानिए दोनों के काम.

कमांडो नाम सुनते ही हमारे मन में अलग-अलग लिबास के कमांडो की तस्वीर सामने आने लगती है. इन्हीं में से एक है एनएसजी और एसपीजी कमांडो जो मारने और मरने दोनों के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. कब पलक झपकते यह दोनों कमांडो क्या कर जाएं यह आम आदमी के बस की भी बात नहीं है. दोनों कमांडो फोर्स अपने आप में बेहतर है जो अलग-अलग सुरक्षा प्रदान करती है. आधे से ज्यादा एनएसजी और एसपीजी कमांडो पहले से अर्धसैनिक बलो या विशेष बलों में काम कर चुके होते हैं. इन कमांडो के पास तो ऐसे जैकेट भी होते हैं जो एके-47 की गोली खाकर भी सीधे खड़े रहते हैं. इन कमांडो के पास आंख बंद करके निशाना लगाने के साथ-साथ कई ऐसी कला मौजूद रहती है जिसके बारे में हम सोच भी नहीं सकते है. आज हम आपको बताएंगे कि भारत में जो विभिन्न स्तरीय सुरक्षा श्रेणी है उसमें किन-किन कमांडो को शामिल किया जाता है और देश में कब-कब इन कमांडो की जरूरत पड़ी.

भारत में विभिन्न स्तर की सुरक्षा श्रेणी और उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने वाले विशेष कमांडो: एसपीजी कमांडो- भारत के प्रधानमंत्री, उनके परिवार, पूर्व प्रधानमंत्री और पूर्व राष्ट्रपति की सुरक्षा की जिम्मेदारी एसपीजी कमांडो की होती है. इसमे एनएसजी कमांडो, स्थानीय पुलिस का भी साथ मिलता है.

प्रधानमंत्री के सुरक्षा में मुस्तैद SPG कमांडो.

जेड प्लस सुरक्षा-  इसमें 10 एनएसजी कमांडो और पुलिसकर्मी शामिल होते हैं जो हमारे देश के कई बड़े नेताओं को प्राप्त है. इसमें अमित शाह, योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय वित्त मंत्री का नाम शामिल है. इसके अलावा देश के कई महत्वपूर्ण लोगों को यह सुरक्षा दी गई है.

जेड – इसमें 45 एनएसजी कमांडो, आइटीबीपी और सीआरपीएफ के कमांडो होते हैं. रामदेव बाबा और कई बड़े अभिनेता को यह सुरक्षा प्राप्त है.

Y+ – श्रेणी की सुरक्षा में तीन से चार एनएसजी कमांडो और बाकी सीआरपीएफ के जवान मौजूद होते हैं.

Yसुरक्षा-  इसमें एक से दो एनएसजी कमांडो और पुलिस के जवान शामिल होते है.

X- यह एक व्यक्ति सुरक्षा अधिकारी द्वारा देश के विभिन्न लोगों को प्रदान किया जाता है.

एनएसजी कमांडो और एसपीजी कमांडो का परिचय, इतिहास, प्रयोग,उनके द्वारा प्रयोग किए जाने वाले हथियार: देश में आज तक जितने भी बड़े आतंकी हमले हुए हैं उसमें एनएसजी कमांडो ने आतंकियों का खात्मा किया है. फिर चाहे वह 26/11 का मामला हो या फिर अक्षरधाम का हमला. यह वीआईपी सिक्योरिटी, हाईजैकिंग रोकने, बम का पता लगाने जैसे कामों के लिए तैनात होते हैं. 14 महीने इनकी ट्रेनिंग होती है. आसमान से हो या समुद्र से यह हर परिस्थिति में लड़ने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. पैर से लेकर नाखून तक यह काले रंग के पोशाक से ढ़के होते हैं. साल 1984 की ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान भारत को एनएसजी की जरूरत पड़ी थी, जिसके बाद यह अस्तित्व में आया. एनएसजी कमांडो एके-47, Mp5, Glock17,Mp 7, स्नाइपर राइफल जैसे घातक हथियार का इस्तेमाल करते हैं.
एसपीजी कमांडो अपनी सेवा प्रधानमंत्री और भूतपूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवारों को देते हैं. पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी के हत्या के बाद साधारण अंगरक्षक पर विश्वास करना मुश्किल हो गया इस वजह से प्रधानमंत्री को एक विशेष दर्जे की सुरक्षा मुहैया कराने के उद्देश्य से एसपीजी का गठन किया गया। 2 जून 1988 को इसका गठन हुआ. इसका 1-1 कमांडो वन मैन आर्मी होता है. प्रधानमंत्री जहां भी जाएं उनकी सुरक्षा के लिए सभी जरूरी उपाय करते है. चाहे वह घरेलू दौरा हो या फिर विदेशी दौरा हो. यह कमांडो सुरक्षा के लिए हमेशा मौजूद होते हैं. इन जवानों को हाई ग्रेड बुलेट प्रूफ जैकेट प्राप्त होता है जिसका वजन 2.2 किलोग्राम होता है. इन कमांडो के पास ऑटोमेटिक गन, ENF- 2000 असाल्ट राइफल, Glock17 नाम के घातक हथियार मौजूद होते हैं.

एनएसजी कमांडो और एसपीजी कमांडो के प्रयोग का उदाहरण: साल 1983 में इंडियन एयरलाइंस हाईजैक हो गई थी. इसमें दो अपहरणकर्ता को एनएसजी कमांडो ने मार गिराया था और किसी यात्री को खरोच तक नहीं आई थी. साल 2016 पठानकोट हमले में एनएसजी कमांडो ने आतंकियों का सफाया किया था. साल 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार को 10 वर्षों के लिए एसपीजी कमांडो की सुरक्षा प्राप्त हुई थी. अगर हम व्यवहार की बात कहें तो यह बताना काफी मुश्किल है कि एनएसजी कमांडो और एसपीजी कमांडो में ज्यादा खतरनाक कौन है परंतु इतना जरूर कहा जा सकता है कि यह दोनों देश के ऐसी सिक्योरिटी फोर्स एस हैं जो पल भर में दुश्मन को खत्म करने का माद्दा रखते हैं।

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