एक ऐसा जासूस जो आपके नाक के नीचे से क्या कुछ करके चला जाए और आपको कानो कान तक खबर नहीं हो. आज हम जिस सख्स की बात करने जा रहे हैं उनके लिए यह पूरी तरह से सटीक बैठता है. आज हम आपको बताएंगे भारत के सबसे खतरनाक जासूस और भारत के तत्कालीन सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बारे में।अजीत डोभाल को भारत का जेम्स बांड भी कहा जाता है. एक ऐसा जासूस जिसने दुश्मन को नाकों चने चबाने पर मजबूर किया हो। यही वजह है कि आज भारत के दुश्मन भी इनके नाम से थर-थर कांपते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह अजीत डोभाल ने जासूसी की दुनिया में एक अलग मिसाल पेश की और भारत के सबसे बड़े दुश्मन पाकिस्तान में किस तरह एक खुफियां एजेंट के तौर पर सालों तक रहे.
अजीत डोभाल का परिचय : अजीत डोभाल का जन्म 20 जनवरी 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ. उन्होंने अजमेर मिलिट्री स्कूल से अपनी पढ़ाई की. उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. 1968 बैच के आईपीएस ऑफिसर रहे अजीत डोभाल अपनी नियुक्ति के 4 साल बाद 1972 में इंटेलिजेंस ब्यूरो से जुड़ गए. अपने करियर में 7 साल ही वह पुलिस की वर्दी पहने. उनका ज्यादातर समय खुफिया विभाग में बतौर जासूस गुजरा है. जासूसी की दुनिया में 37 साल का तजुर्बा रखने वाले अजीत डोभाल 31 मई 2014 को भाजपा की सरकार में देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने.
नौकरी के द्वारा तीन प्रमुख असाइनमेंट जिनमें उन्होंने लीड किया
1. वर्ष 2019 में जब आतंकवादियों ने पुलवामा में सेना के काफिले पर हमला किया तो पूरा देश आहत था. ऐसी स्थिति में भारत के जेम्स बांड कहे जाने वाले अजीत डोभाल ने आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए बालाकोट एयर स्ट्राइक का मास्टर प्लान बनाया. यह पाकिस्तान में घुसकर आतंकवादियों को खत्म करने का पहला सफल अभियान था.इससे पहले म्यांमार के उग्रवादियों द्वारा सेना पर हमले के जवाब में उरी सेक्टर में सर्जिकल स्ट्राइक के भी स्ट्रैटिजिस्ट अजीत डोभाल ही थे।
2. ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद अजीत डोभाल तो जासूसी की दुनिया का सरताज बन गए. दरअसल एक कमरे में सेना के अधिकारियों के बीच मीटिंग चल रही थी. तब वह रिक्शा वाले की भूमिका में कमरे में घुसते हैं और आतंकियों के खिलाफ इकट्ठा की गई सभी इंफॉर्मेशन हासिल कर के भारतीय सेना को यह जानकारी दी और इस ऑपरेशन को सफल बनाया. महीनों तक वह रिक्शावाला बनकर आतंकियों के बीच रहते थे लेकिन किसी को कानों कान खबर नहीं होती थी. इस शख्स ने एक पाकिस्तानी जासूस की भूमिका में ऑपरेशन ब्लूस्टार से पहले खालिस्तानी आतंकवादियों से हर जानकारियां इकट्ठा कर ली थी.
3. इसके अलावा साल 1999 में जब कंधार में इंडियन एयरलाइंस के विमान का अपहरण किया गया था तो भारत के मुख्य वार्ताकार अजीत डोभाल ही थे. इसके अलावा पंजाब मिजोरम और कश्मीर में चल रहे विवाद विरोधी अभियान में भी वह शामिल रहे हैं.
पाकिस्तान में अजीत डोभाल के बिताए गए समय की छोटी व्याख्या खुफिया एजेंसी रॉ के अंडरकवर एजेंट के तौर पर अजीत डोभाल 7 साल पाकिस्तान के लाहौर में एक पाकिस्तानी मुस्लिम बनकर रहे थे. उन्होंने पाकिस्तान में रहते हुए एक मुसलमान व्यक्ति के रूप में खुद को ढाला और किसी को कानों कान यह खबर नहीं होने दी कि वे एक हिंदू है. इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण जानकारियां भारत तक पहुंचाई. आज भी पाकिस्तान के अधिकारी चकित हैं की आईएसआई को 7 वर्षों तक डोभाल के पाकिस्तान में होने की भनक कैसे नही लगी।
रिटायरमेंट के बाद शुरू किया जीवन का एक नया और साहस भरा सफर जासूसी की दुनिया में एक नई मिसाल पेश करने वाले अजीत डोभाल का नाम सुनते ही कई देशों की पसीने छूटने लगते हैं. जासूसी की दुनिया में 37 वर्षों का तजुर्बा रखने वाले अजीत डोभाल वाजपेई सरकार में मल्टी एजेंसी सेंटर और ज्वाइंट इंटेलिजेंस टास्क फोर्स के चीफ रह चुके हैं।अजीत डोभाल विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष भी रह चुके हैं। सुरक्षा के क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान और उम्दा अनुभव की वजह से उन्हें उनके रिटायरमेंट के बाद भारत का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया। अजीत डोभाल पर पूरे देश को गर्व है।