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अखंड भारत एक परिकल्पना मात्र या स्वर्णिम इतिहास

गरम मुद्दा

अखंड भारत एक परिकल्पना मात्र या स्वर्णिम इतिहास

अब ना ही जंबूद्वीप है ना भारतवर्ष और ना ही आर्यवर्त. साफ कहा जाए तो आज सिर्फ हिंदुस्तान है और कई मायने में देखें तो यह भी नहीं. आज जहां भारत की सीमा कश्मीर से कन्याकुमारी और असम से गुजरात तक मानते हैं. वास्तव में यह आज के परिवेश का भारत है. वैदिक काल में कितने तपस्वी हुए जो हिमालय के इस पार और उस पार निर्बाध रूप से आवागमन करते थे जो हमारे अखंड भारत का प्रमाण दिखाता है. जब विदेशी आक्रमण का दौर शुरू हुआ तो धीरे-धीरे अखंड भारत के कई टुकड़े होते चले गए.

क्या है अखंड भारत और पिछले कुछ वर्षों में इसकी मांग क्यों बढ़ी
अखंड भारत का विचार सनातन भारतीय सभ्यता जितना पुराना है, क्योंकि इसे प्राचीन भारतीय शास्त्रों में विधिवत स्थान मिला और वर्णित किया गया है. पिछले 200 सालों में अपनी एक तिहाई जमीन खो चुके भारत देश को कुछ लोगों ने ईरान, वियतनाम, कंबोडिया, मलेशिया, फिलिपिंस, श्रीलंका, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, तिब्बत, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और बर्मा से जुड़ा है. वही धार्मिक मिजाज के लोग अखंड भारत के तौर पर वाल्मीकि रामायण के नवद्वीप भारत की कल्पना करते हैं. समय के साथ-साथ अनेक कारणों से भारत का विभाजन होता गया और आज भारत माता खंड- खंड हो गई है. अखंड भारत का साधारण सा अर्थ है कि जो भी देश भारत का हिस्सा हुआ करते थे वो आज अलग देश बन गए हैं. यदि वह पुनः भारत में सम्मिलित कर लिया जाए तो भारत फिर अखंड बन जाएगा. पिछले कुछ वर्षों में तत्कालीन सरकार के काम करने के तरीके और भारत को लेकर उनके सोच से लोगों के बीच एक आस जगी है कि भारत को फिर से अखंड किया जाए।

महान अशोक सम्राट का स्वर्णिम इतहास और उस वक्त का अखंड भारत
भारतीय इतिहास में ऐसे कई राजा आए जिन्होंने भारत के दौर को बदल दिया. मौर्य वंश और सम्राट अशोक का दौर वैसा ही दौर था. जब भारत सचमुच में सोने की चिड़िया कहलाता था. आज भी भारत देश का सातबारा उतारा सम्राट अशोक के नाम से निकलता है. यानी अभी भी भारत देश सम्राट अशोक के नाम पर ही है. अशोक सम्राट का मौर्य साम्राज्य उत्तर में हिंदू कुश की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी के दक्षिण तथा मैसूर तक तथा पूर्व में बांग्लादेश से पश्चिम में अफगानिस्तान ईरान तक पहुंचा हुआ था. चंद्रगुप्त मौर्य ने भले ही मौर्य समाज की स्थापना की थी लेकिन पूरे देश को अखंड भारत के रूप में बनाने का श्रेय चक्रवर्ती सम्राट अशोक को जाता है.

क्या फिर से भारत अपने खोए हुए भूभाग को पा सकता है
भारत देश को सनातन संस्कृति का जड़ कहा जाता है। हमें अपने पुराने आध्यात्मिक और भौगोलिक शक्ति को समझना होगा।आज इतने टुकड़े में विभाजित होने के बावजूद भी भारत क्षेत्रफल की दृष्टि से दुनिया के टॉप 10 देशों में शुमार है. इससे इस बात की कल्पना की जा सकती है कि जब अखंड भारत रहा होगा तो यह कितने बड़े भूभाग में फैला होगा. 1947 तक भारत के अंग्रेजों से आजाद होने तक भारत से 15 से ज्यादा देश अलग हो चुके हैं. इस वक्त अखंड भारत बनाने के लिए और जिन भूभागों को अलग किया गया है उन्हें वापस लाने के लिए तरह-तरह की बातें कहीं जा रहे हैं . कहा जाता है कि आने वाले 20 से 25 सालों में अखंड भारत की तस्वीरें साफ नजर आएगी.

भारत के नए संसद भवन में अखंड भारत का ऐतिहासिक चित्रण.

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