फोकट का ज्ञान
ट्रीमैन सिंड्रोम:दुनिया की भयावह बीमारियों में एक,जाने इसके लक्षण
एक ऐसी बीमारी जो व्यक्ति के शरीर के आकृति को पूरी तरह बदल दे, जिसके बाद वह अपना कोई काम करने से पहले सौ बार सोचे. ट्रीमैन सिंड्रोम या (इकथियोसिस हिस्ट्रिक्स) एक ऐसी भयानक बीमारी मानी जाती है जिसमें शरीर में त्वचा के साथ पेड़ जैसी संरचना उगने लगती है. इस बीमारी में बड़े ही धैर्य और लगातार उपचार की जरूरत होती है क्योंकि इंसान पूरी तरह से टूट जाता है और अगर थक कर उसने अपना उपचार बीच में ही छोड़ दिया तो फिर यह भयानक रूप ले लेता है. इस बीमारी को लेकर यह भी कहा जाता है कि अब तक कोई खास इलाज मौजूद नहीं है , जिस वजह से इसे काफी खतरनाक भी बताया जाता है. इस बीमारी में व्यक्ति का शरीर पूरी तरह कठोर होकर पेड़ की लकड़ी की तरह हो जाता है. यह बीमारी एक करोड़ लोगों में केवल एक को ही होती है.
दुनिया में किस क़दर मौजूद है यह बीमारी
डॉक्टरों का मानना है कि यह बीमारी एक करोड़ लोगों में से किसी एक को होती है। अब तक दुनिया में इस बीमारी के लगभग 200 मरीज पाए गए हैं. जिसमें भारत बांग्लादेश समेत कई अन्य देश के भी लोगों को यह बीमारी हुई है. छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले की रहने वाली 8 वर्षीय बालिका जागेश्वरी इस बीमारी से स्वस्थ होकर अपने घर आ गई है और एक खुशहाल जीवन जी रही है। परंतु उसके परिजन जागेश्वरी का रेगुलर चेकअप कराते रहते हैं ताकि दोबारा यह बीमारी ना पनपे.जब भी इस बीमारी की बात चलती है तो बांग्लादेश के ट्रीमन सिंड्रोम से ग्रसित मरीज अबुल बाजंदर की चर्चा जरूर होती। उनकी स्थिति काफी भयावह हो चुकी है। कहा जाता है कि 10 वर्ष की आयु से ही उनके शरीर पर विचित्र आकृतियां बनना शुरू हो गई थी। 28 वर्ष का अबुल दुनिया में पूरी दुनिया में ट्रीमैन के नाम से जाना जाता है।
दुनिया के खतरनाक बीमारियों में से एक है ट्रीमैन सिंड्रोम
जिस व्यक्ति को यह बीमारी होती है उसका शरीर काफी बुरी तरह प्रभावित हो जाता है. टॉयलेट करने से लेकर खाना खाने पर हर काम के लिए दूसरे व्यक्ति के सहारे की जरूरत पड़ती है. इस सिंड्रोम के कारण हर समय मरीज व्हीलचेयर पर बैठा रहता है. 1 साल से 20 साल की उम्र तक में इस बीमारी के होने का सबसे ज्यादा खतरा रहता है.
क्या है इस बीमारी के लक्षण,कारण और इलाज
इस बीमारी के बढ़ने से पहले हमारे चेहरे, गर्दन और शरीर पर चकत्ते नजर आने लगते हैं जो धीरे-धीरे घांव का रूप लेने लगता है. इस गंभीर स्थिति का कारण ईवर 1या ईवर 2 में से एक प्रकार का परिवर्तन है. आमतौर पर यह घाव पूरे शरीर में होते हैं लेकिन कुछ मामले में केवल ऐसे होते हैं जो पांव तक सीमित होते हैं. इसके रोकथाम के लिए यह जरूरी है कि आप धूप में जाने से बचें. आमतौर पर सर्जरी के माध्यम से ही इस बीमारी को रोका जा सकता है. उपचार बंद करवाने पर आपके घाव की तेजी से बढ़ने की संभावना होती है. कई बार यह देखा गया है कि सर्जरी के बाद भी इसके दोबारा पनपने की संभावना रहती है.