Connect with us

महात्मा गांधी की जान बचाई जा सकती थी, अगर पुलिस से ना होती ये गलती

ओ तेरी..

महात्मा गांधी की जान बचाई जा सकती थी, अगर पुलिस से ना होती ये गलती

जब महात्मा गांधी की हत्या की गई उस वक्त उनके आसपास सिक्योरिटी पूरी तरह से तैनात थी. 30 जनवरी को गांधीजी ने सरदार पटेल से मुलाकात की और 5:10 पर यह प्रार्थना सभा में चले गए जो कि 15 मिनट देरी से शुरू हुई. जब वह आसन तक पहुंच ही रहे थे कि दोनों तरफ लोग उनका अभिवादन करने लगे. उसी वक्त जेब में रिवाल्वर रखे नाथूराम गोडसे ने पहले गांधी जी को नमस्कार किया और फिर उन पर गोलियां चला दी. उस वक्त गांधीजी के लिए सरदार पटेल सुरक्षा व्यवस्था करना चाहते थे. दिल्ली के बिरला हाउस स्थित प्रार्थना सभा में सरकारी सुरक्षा की पहल को महात्मा ने इसलिए भी ठुकरा दिया था, क्योंकि वह निजी सुरक्षा पर सरकारी साधनों के उपयोग के खिलाफ थे. अगर लोगों की तलाश करने की व्यवस्था होती तो शायद नाथूराम गोडसे अंदर पिस्तौल लेकर कभी नहीं पहुंच पाते. गांधीजी के ऊपर 6 बार जानलेवा हमले हुए. पहला हमला 25 जून 1934 को भाषण देने के खिलाफ बमबारी के माध्यम से हुआ. दूसरा हमला जुलाई 1944 को हुआ. तीसरा हमला सितंबर 1944 को हुआ जब गांधी जी को मारने का एक और प्रयास किया गया. जब वह गांधी स्पेशल ट्रेन से पुणे की यात्रा कर रहे थे. जून 1946 को चौथा प्रयास किया गया. 20 जनवरी 1948 को एक बैठक के दौरान उन पर हमला करने की साजिश रची गई.

ऐसे बच जाती महात्मा गांधी की जान
पाकिस्तान से आया एक शरणार्थी मदनलाल पहावा उस वक्त बंटवारे के दौरान अपने परिवार को खो चुका था, जिसके लिए वह गांधी को दोषी मानता था. रोजी-रोटी की तलाश में जब वह मुंबई पहुंचा तो उसकी मुलाकात नाथूराम गोडसे के कुछ साथियों से हो गई जिसके बाद वह गोडसे का करीबी बन गया. गोडसे और उसके साथियों ने 20 जनवरी 1948 को भवन में गांधी की प्रार्थना सभा में बम फोड़कर ग्रेनेड और गोलियां मारकर गांधी की हत्या करने का प्लान बनाया था. ऐसा करने में वह कामयाब हो गए थे लेकिन गोलियां नहीं चला पाए और यह हमला विफल हो गया. उसी वक्त पहावा ने अपनी गिरफ्तारी के बाद पुलिस को गोडसे और उसके बाकी साथियों के बारे में सारे राज बता दिए थे. इसके बावजूद भी 10 दिन तक पुलिस ने गोडसे को गिरफ्तार नहीं किया था. अगर पुलिस उन 10 दिनों में गोडसे को गिरफ्तार कर लेती तो महात्मा गांधी की जान बच जाती. पत्रकार प्रखर श्रीवास्तव ने अपनी पुस्तक में इन सारी बातों का उल्लेख किया है.

महात्मा गांधी की हत्या पूरे भारत के लिए सदमा
कोई हत्यारा सबसे पहले आकर आपके पांव छुए और फिर आपके सीने में 3 गोलियां उतार दें. यह यकीन करना मुश्किल है, लेकिन गांधीजी की इसी तरह हत्या हुई थी. कई बार गांधी जी की हत्या करने की कोशिशों में नाकाम रहने के कारण अपने साथियों की जगह खुद नाथूराम गोडसे ने बापू को मारने के बारे में सोचा. इस घटना को हुए आज 75 साल हो चुके हैं लेकिन आज भी यह सदमा कोई नहीं भूला.
जब महात्मा गांधी की हत्या हुई तो नेहरू ने प्रस्ताव दिया कि 2 सप्ताह तक शव को दर्शन हेतु रखा जाए. इसकी सहमति लॉर्ड माउंटबेटन ने भी की थी. 4000 सैनिक, 1000 वायु सैनिक, 1000 पुलिस- सिपाही व 1000 नेवी सैनिकों को ट्रक से आगे पीछे चलना था. इसके अतिरिक्त गवर्नर जनरल के अंग रक्षकों में से 1000 अंगरक्षक की टुकड़ी भी उनके काफिले में शामिल थी. वहीं दूसरी ओर शव यात्रा में शामिल हजारों लोगों पर गुलाब की पंखुड़ियां बरसाई जा रही थी. बारूद के धुए से गांधी जी की सफेद शॉल भी पूरी तरह जल गई थी. उनकी धोती खून में पूरी तरह सन गई थी. छाती और पेट पर गोलियों के घाव नीले पड़ गए थे. जब चादर उन पर से हटाई जा रही थी तो गोली का एक और शैल गिरा था.

कोर्ट रूम की वह तस्वीर जिसमें महात्मा गांधी के मर्डर का केस चल रहा है और कटघरे में नाथूराम गोडसे और उनके साथी बैठे हैं.

आगे पढ़ें
You may also like...

journalist

More in ओ तेरी..

To Top