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युवराज सिंह: क्रिकेट की दुनिया का सबसे जांबाज़ खिलाड़ी
छह गेंद पर छह छक्के लगाने से लेकर दुनिया के हर कोने में भारत के लिए खेलते हुए ऐसा कारनामा किया जिसके आसपास भी आज तक कोई नहीं भटक सकता है. बचपन में जिसे स्केटिंग और टेनिस बहुत पसंद हो वह क्रिकेटर बन जाएगा यह किसे पता था. मां बाप से जब दोबारा युवराज सिंह ने खेलने के लिए रैकेट मांगा तो उन्हें नहीं मिला, जिसके बाद मजबूरी में उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू किया और फिर क्या भारत को एक ऐसा धुरंधर खिलाड़ी मिला जिसने टीम को वर्ल्ड चैंपियन बना दिया. अपने क्रिकेट करियर के दौरान युवराज सिंह ने हमेशा 12 नंबर की जर्सी पहनी. यह उनके लिए काफी लकी रहा. दरअसल उनका जन्म 12 वें महीने 12 दिसंबर को हुआ था और ठीक 12:00 बजे हुआ था. इसके अलावा सेक्टर 12 में वह जन्मे थे जिस कारण यह तारीख उनके लिए काफी अहम थी.
युवराज सिंह के जीवन का परिचय
12 दिसंबर 1981 को चंडीगढ़ में जन्म लेने वाले युवराज सिंह का आज नाम सुनते ही अच्छे- अच्छे लोगों के दिलों में खलबली मच जाती है. उनके पिता योगराज सिंह जो कि एक पूर्व भारतीय क्रिकेटर रह चुके हैं, उन्होंने पंजाबी फिल्म में अभिनय भी किया है. कुछ सालों बाद जब माता-पिता का तलाक हो गया तो युवराज सिंह अपनी मां शबनम सिंह के साथ रहने लगे और वहीं से उनके जीवन का असली दौर शुरू हुआ. इंग्लैंड के खिलाफ 6 गेंदों में छह छक्के की पारी युवराज सिंह द्वारा कौन भूल सकता है. साल 2007 के टी-20 वर्ल्ड कप के दौरान उन्होंने इंग्लैंड के स्टुअर्ट ब्रॉड के एक ओवर में छह छक्के लगाए थे. इतना ही नहीं 12 गेंदों पर 50 रन बनाने का रिकॉर्ड आज भी उनके नाम दर्ज है. भारत के लिए 40 टेस्ट मैच में 1900 रन, वही 304 एकदिवसीय मैच में 8701 रन और 58 टी-20 मैच में 1177 रन उनके नाम दर्ज है.
कैंसर से युवराज सिंह की लड़ाई
बचपन से ही युवराज सिंह ने इतनी चुनौतियों का सामना किया था कि कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने के लिए वह पूरी तरह से तैयार थे. साल 2011 की बात है जब श्रीलंका को हराकर भारत वर्ल्ड चैंपियन बना जिसमें युवराज सिंह ने ऑलराउंडर परफॉर्मेंस दिखाते हुए मैन ऑफ द टूर्नामेंट अपने नाम किया और कुछ ही दिनों बाद युवराज सिंह को लेकर यह खबर सामने आई कि उनके फेफड़े में कैंसर ट्यूमर डिटेक्ट हुआ था. पूरी दुनिया में उनके चाहने वाले उनकी सलामती की दुआ कर रहे थे. लंबे समय तक इसके चलते उन्हें क्रिकेट से दूर रहना पड़ा. उन्होंने क्रिकेट से ब्रेक लिया और फिर इस जानलेवा बीमारी को हराकर एक चैंपियन के रूप में सबके सामने आए. कहा जाता है कि युवराज सिंह को इलाज के दौरान काफी मुश्किल परिस्थितियों से गुजरना पड़ रहा था. जब सचिन तेंदुलकर ने उन्हें काफी प्रेरित किया और कहा कि क्रिकेट छोड़ने के बाद भी हमेशा किसी न किसी खेल से जुड़े रहना चाहिए. आपको बता दें कि कैंसर से वापसी के बाद युवराज सिंह ने 5 साल तक इंटरनेशनल क्रिकेट खेला और 2014 में आईसीसी T20 वर्ल्ड कप और 2017 में चैंपियंस ट्रॉफी टूर्नामेंट में हिस्सा लिया.10 जून 2019 को युवराज सिंह ने इंटरनेशनल क्रिकेट और आईपीएल करियर से रिटायरमेंट की घोषणा कर दी थी.