ओ तेरी..
मात्र 27 लोगों का मुल्क, जानिए दुनिया के सबसे छोटे देश की कहानी
27 लोगों वाला परिवार तो आपने सुना होगा पर 27 लोगों वाला देश शायद आपने कभी नहीं सुना होगा, पर दुनिया का एक ऐसा कोना भी है जहां 27 लोग से मिलकर एक देश बना है. इसका नाम सीलैंड है. इंग्लैंड के समुद्री तट के लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित समुद्री किले पर यह बसा है. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन ने इसे बनाया था. हालांकि बाद में इसे खाली कर दिया गया. आप यह जानकर चौक जाएंगे कि इस छोटे से देश की अब आर्थिक स्थिति भी धीरे-धीरे सुधर रही है और इसके पास खुद का एक हेलीपैड भी है जो धीरे-धीरे और प्रगति के रास्ते पर चल पड़ा है. आज तक आप वेटिकन सिटी को दुनिया का सबसे छोटा देश मानते थे परंतु आज हम आपको उससे भी एक छोटे देश के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका अपना निजी ध्वज है, जिसके पास अपना करेंसी है परंतु उन्हें अब तक स्वतंत्र देश की मान्यता नहीं मिली है।
दुनिया के सबसे छोटे देश सिलैंड की जनसंख्या, क्षेत्रफल
दुनिया के सबसे छोटे देश सीलैंड का क्षेत्रफल 250 मीटर ही है. खंडहर हो चुके इस किले को सीलैंड के साथ-साथ रफ फोर्ट के नाम से भी पहचाना जाता है. इस देश में एक ही परिवार से जुड़े 27 लोग रहते हैं। इंग्लैंड से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस देश के पास अपनी फुटबॉल टीम भी है।
सीलैंड के बनने की कहानी और इतिहास
सीलैंड पर हमेशा अलग-अलग लोगों का कब्जा रहा. 9 अक्टूबर 2012 को रॉय बेट्स नाम के शख्स ने खुद को यहां का प्रिंस घोषित कर दिया. इसकी मौत के बाद उनके छोटे बेटे माइकल का शासन है. इसका उपयोग सेना और नौसेना के किले के रूप में किया जाता था. यह ब्रिटेन के जेल के बाहर स्थित था, इसलिए युद्ध समाप्त होने के बाद इसे ध्वस्त किया जाना था, लेकिन किसी तरह नष्ट नहीं हुआ. इस देश का अपना संविधान है. समुद्र के बीच बस ये देश केवल दो पिलर पर टिका हुआ है.जनसंख्या कम होने के कारण यहां के लोगों के पास आजीविका का कोई साधन नहीं है. धीरे-धीरे इंटरनेट पर लोगों को इस बारे में जानकारी होती गई तो डोनेशन से खूब मदद की गई. यहां रहने वाले लोगों को फिर आर्थिक मदद मिली. बाद में अब धीरे-धीरे इस छोटे देश की सैर करने के लिए काफी अच्छे खासे टूरिस्ट भी पहुंच रहे हैं. आमतौर पर देखा जाए तो इस देश के लोगों के पास अपनी आजीविका चलाने के लिए कोई साधन नहीं है. इसलिए यह लोग बेरोजगार है, पर टूरिस्ट के आने से लोगों को थोड़ी आर्थिक मजबूती मिली है.