ऐसा मंदिर जहां पूजा करने के लिए दुनिया के अलग-अलग कोने से लोग आते हैं, पर रुकने के बारे में कोई गलती से भी नहीं सोच सकता, जिसने भी रूकने की कोशिश की उसके साथ बुरा हुआ. महाकाल उज्जैन के राजा है और जिस वजह से रात के दौरान कोई भी अन्य शासक या व्यक्ति वहां नहीं रुक सकता. किसी ने अगर ऐसी कोशिश की तो उसके साथ कुछ बुरा होगा या उसे कुछ गंवाना पड़ सकता है. मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां आने वाले की झोली कभी खाली नहीं जाती है, महाकाल सबकी मुरादें पूरी करते हैं.
महाकाल के शहर उज्जैन की विशेषता अगर सबसे पहले कारण पर चर्चा की जाए तो उज्जैन भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक है. महाकाल इस नगरी में स्थित है इस कारण यह काफी लोकप्रिय है. हर 12 साल पर यहां सिंहस्थ महाकुंभ मेला लगता है जहां पर आप महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के अलावा श्री बड़े गणपति जी का मंदिर, श्री हरसिद्धि देवी का मंदिर, श्री गोपाल मंदिर, श्री राम जनार्दन मंदिर, श्री चार धाम मंदिर, कालियादेह महल, श्री काल भैरव मंदिर, श्री मंगलनाथ मंदिर और वेधशाला का दर्शन कर सकते हैं.
उज्जैन शहर में महाकाल के स्थापित होने की कहानी कहा जाता है कि उज्जैन में महाकाल के प्रकट होने से जुड़ी एक बहुत बड़ी कथा है. दूषण नामक असुर से प्रांत के लोगों की रक्षा करने के लिए महाकाल यहां पर प्रकट हुए थे. जब उन्होंने दूषण का वध किया उसके बाद शिव जी के भक्तों ने उन्हें उज्जैन में ही वास करने की प्रार्थना की. इसी के बाद भगवान शिव को कालों का काल महाकाल कहा जाने लगा. इसके बाद भगवान शिव महाकाल ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए. ऐसे उज्जैन का शास्त्रों में वर्णन भगवान श्री कृष्ण को लेकर भी मिलता है क्योंकि उनकी शिक्षा यही हुई थी. यहां पर भगवान महाकाल की भस्म आरती होती है, उसे लेकर ऐसा भी माना जाता है कि इस आरती में शामिल हो जाए उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और इसके बिना आपके दर्शन पूरे नहीं माने जाते. इस भस्मारती से महाकाल का श्रृंगार होता है और उन्हें जगाया जाता है. इसके लिए वर्षो पहले शमशान से भस्म बनाने की परंपरा की. केवल उज्जैन में ही आपको यह आरती देखने का सुनहरा अवसर प्राप्त हो सकता है.
महाकाल मंदिर का परिचय महाकालेश्वर का यह मंदिर हिंदुओं के बीच एक अलग महत्व रखता है जो शिव जी के बारह ज्योतिर्लिंग में से एक है. इसके साथ ही उज्जैन के इस ज्योतिर्लिंग को शिव का सबसे पवित्र स्थान भी माना जाता है. यह मंदिर रुद्रसागर सरोवर के किनारे बसा है. उज्जैन का महाकाल मंदिर छठी शताब्दी में निर्मित बाबा महाकालेश्वर की 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. ओम कालेश्वर महादेव की प्रतिमा को महादेव तीर्थ स्थल के ऊपर पवित्र स्थान पर बनाया गया है. इसके साथ ही गणेश पार्वती और कार्तिकेय की प्रतिमा को भी पश्चिम, उत्तर और पूर्व में स्थापित किया गया है. मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस मंदिर का शिखर इस तरह से बनाया गया है कि हमें यह आकाश को छूता दिखाई देता है, जो अपने आप में एक चमत्कार की तरह नजर आता है. महाशिवरात्रि के दिन मंदिर के पास एक विशाल उत्सव का आयोजन किया जाता है और देर रात तक भगवान शिव की पूजा होती है. सुबह 3:00 बजे से रात के 11:00 बजे तक यह मंदिर खुला रहता है.