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भारत के मसालों के इस शहर का स्वाद पूरी दुनिया जानती है, जानिए इससे जुड़ी रोचक जानकारी

फोकट का ज्ञान

भारत के मसालों के इस शहर का स्वाद पूरी दुनिया जानती है, जानिए इससे जुड़ी रोचक जानकारी

आजादी से पहले भारत को जब लूटने के लिए अंग्रेज यहां आए थे उस वक्त भी इसकी वजह मसाले ही रहे थे और आज भी आजादी के कई दशक बाद भी हमारा भारत मसालों के लिए पूरी दुनिया में पहचाना जाता है. यूं ही नहीं भारत को विश्व का मसाला कटोरा कहा जाता है. दुनिया में 109 किस्म के मसालों में से 75 मसालों का उत्पादन भारत करता है. कहा जाता है कि यूरोपीय लोगों ने मसालों के वास्तविक उत्पत्ति के लिए अपनी खोज में लंबी अवधि में अपने जहाजों को लिया ताकि मसालों को लाया जा सके क्योंकि वह उनकी भोजन को स्वादिष्ट बनाते थे. केरल को भारत का मसाला उद्यान कहा जाता है. इसके अलावा पंजाब, गुजरात, मणिपुर, मिजोरम, उत्तर प्रदेश और कई अन्य राज्य भी बढ़ते मसालों का केंद्र बनते जा रहे हैं. आज हम भारत के उन मसालों का जिक्र करेंगे जिसकी पूरी दुनिया दीवानी है और पूरी दुनिया में भारत में इसके दम पर एक अलग पहचान बनाई है.

कोच्चि शहर में मसालों की खेती और पूरी दुनिया में मसालों के लिए प्रसिद्ध कोचीन शहर की विशेषता
हमारे देश में दुनिया के सबसे अधिक मसालों का उत्पादन होता है और आज से ही नहीं बल्कि हमेशा से मसाला उत्पादन में भारत नंबर एक रहा है. पुराने समय में हमारे देश से ज्यादातर व्यापार का एक बड़ा हिस्सा मसालों का होता था. समुद्र मार्ग के जरिए बड़े- बड़े जहाज मसालों से भरकर विदेश ले जाया करते थे और यह सिलसिला आज तक जारी है. बड़े स्केल पर देखा जाए तो केरल हमारे देश का वह राज्य है जहां सबसे अधिक मात्रा में मसाला का उत्पादन होता है, जिस कारण केरल को लैंड ऑफ़ स्पाइस भी कहा जाता है. पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा मसाले भारत में पैदा होते हैं और भारत के अंदर सबसे ज्यादा मसाले केरल में पैदा होते हैं. आज भी केरल से सबसे अधिक मात्रा में मसाले दुनिया भर में भेजे जाते हैं. केरल के शहर कोच्चि का पोर्ट तो दुनिया में मसालों के ट्रेड के लिए सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. कोच्चि शहर देश का प्रमुख बंदरगाह शहर है जो केरल के सांस्कृतिक और अर्थव्यवस्था की पूंजी मानी जाती है. यह कई कारणों से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। चाइनीस फिशिंग नेट से लेकर मसालों की खेती तक के लिए यह मशहूर है जहां हर कोने में कोई न कोई नई चीजें जरूर मिलती हैं.

कोच्चि के मशहूर मसाले
भारत में कुल मिलाकर देखा जाए तो 52 तरह के मसालों की खेती होती है, जिसमें 16 मसालों की पैदावार प्रदेश में होती है, जिसमें हल्दी, अदरक, मिर्च, लहसुन, धनिया, मेथी, सौंफ, अजवाइन, भंगीरा, कलौंजी, सोया शामिल है. पथरीली भूमि को छोड़कर सभी प्रकार की भूमि मसाले की खेती के लिए उपयुक्त है. अच्छे जल निकास वाली दोमट भूमि सर्वोत्तम माने जाती हैं. प्रदेश में बीज मसालों की बुवाई का उचित समय अक्टूबर से नवंबर तक का होता है जहां खेत में अच्छी नमी होने पर इसकी बुवाई की जाती है. भारत में आमतौर पर काली मिर्च और लाल मिर्च की खेती करने के लिए 10 डिग्री सेल्सियस से 40 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान की आवश्यकता होती है. वही हल्दी, इलायची के लिए 14 डिग्री सेल्सियस से 32 डिग्री सेल्सियस के तापमान की आवश्यकता होती है. लॉन्ग और दालचीनी के लिए 20 से 35 डिग्री सेल्सियस के तापमान की आवश्यकता होती है.

समुद्र के किनारे बसे होने की वजह से कोच्चि के मसाले पूरे दुनिया में बड़ी आसानी से निर्यात किए जाते हैं.

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