धर्म- कर्म
एक ऐसा ज्योतिर्लिंग जिसकी स्थापना प्रभु श्री राम ने स्वयं की थी, जानिए पूरी कहानी
रामायण में हर किसी ने देखा होगा कि जब भगवान श्री राम लंका पर आक्रमण करने जा रहे थे तब उन्होंने समुद्र के किनारे शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा-अर्चना की थी. भगवान शिव को श्री राम अपना आराध्य देव मानते हैं. इसलिए युद्ध से पहले उन्होंने भगवान शिव का नाम लेकर इस विधि की शुरुआत की थी. बाद में इसी को जाकर रामेश्वरम कहां गया. देशभर में शिवजी के लाखों मंदिर है, परंतु 12 ज्योतिर्लिंग का महत्व बेहद ही खास है. इनमें से एक रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिण में स्थित है. रामेश्वरम चेन्नई से लगभग 425 मील दूर स्थित है वहां के मंदिर जाने के लिए एक पूल है जो 145 खंभों पर खड़ा है और लगभग 100 साल पुराना है.
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का संपूर्ण परिचय
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की स्थापना को लेकर यह भी कहा जाता है कि जब श्री राम लंका पर चढ़ाई करने जा रहे थे उस वक्त रास्ते में ऋषि-मुनियों ने उन्हें बताया कि रावण एक ब्राह्मण है उसका वध करने से उन पर ब्राह्मण हत्या का दोष लगेगा जिसे शिवलिंग की स्थापना करके ही दूर किया जा सकता है. तब उन्होंने वहीं पर बालू का शिवलिंग बनाया और उसका पूजन किया. तब श्रीराम ने भगवान शिव को शिवलिंग के रूप में सदा वहीं रहने के लिए कहा और भोलेनाथ ने इस बात को स्वीकार कर लिया. रामेश्वरम जोकि दक्षिण भारत का काशी कहा जाता है. तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित रामेश्वरम मंदिर की धरती को भोले बाबा और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की कृपा से मोक्ष देने का आशीर्वाद प्राप्त है. यहां सावन के महीने में भक्तों की लंबी कतार नजर आती है. यह मंदिर उत्तर दिशा से दक्षिण दिशा में 197 मीटर तथा पूर्व से पश्चिम में 133 मीटर की लंबाई वाला है. यहां वास्तुकला की अद्भुत कलाकृति देखने को मिलेगी. रामेश्वरम मंदिर का गलियारा विश्व के सबसे बड़े मंदिर गलियारे के रूप में विख्यात है. इस मंदिर में माता सीता की स्थापित मूर्ति और भगवान हनुमान जी की कैलाश पर्वत पर दो लिंग मौजूद है. 5:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक और दोपहर 3:00 बजे से रात 9:00 बजे तक हफ्ते में 7 दिन मंदिर के दरवाजे खुले रहते है. माना जाता है कि वर्तमान समय में रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग जिस रूप में मौजूद है उसका निर्माण 17वीं शताब्दी में कराया गया था. राजा किजहावन या रघुनाथ किलावन ने इस मंदिर के निर्माण कार्य कराया था।
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग मंदिर से जुड़ी 8 खास बातें जो उसे अद्वितीय बनाती हैं
- भगवान श्रीराम ने इस मंदिर में नवग्रह की स्थापना की थी और इस मंदिर को लेकर यह भी स्पष्ट है कि यहां से सारी वस्तुएं दूर हो जाती है और सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है.
2. इसी स्थल पर मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था.
- हिंदू मान्यताओं के अनुसार यहां कुंड में स्नान के बाद पापों से मुक्ति मिलती है और यहां मौजूद 24 कुंड का पानी इतना गुणकारी है कि उसमें डुबकी लगाने के बाद गंभीर से गंभीर बीमारी खत्म हो जाती है.
- रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग में गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है और यह गंगाजल उत्तराखंड से लाया जाता है.
- इस मंदिर में लगभग 22 कुंए हैं. कहा जाता है कि रामेश्वर मंदिर में दर्शन करने से पहले इन 22 कुंड में स्नान करना जरूरी होता है. मंदिर के बाहर भी कुए हैं लेकिन उस का जल खारा है.
- रामेश्वरम का समुद्र तट अपने सुंदर समुद्र के लिए प्रसिद्ध है. इसमें कोई लहर नहीं है. रामायण के अनुसार भगवान राम ने समुद्र से श्रीलंका का मार्ग प्रशस्त करने की प्रार्थना की थी.
- रामेश्वर मंदिर में एक आध्यात्मिक तथा अद्भुत मणि है. कहा जाता है कि यह मणि शेषनाग का मणी है जिस पर भगवान विष्णु विराजमान रहते हैं. रोज सुबह मणि के दर्शन होते हैं जिसका समय 4:00 से 5:00 बजे तक है.
- रामेश्वरम में भगवान शिव की विधिवत पूजा करने पर ब्रह्महत्या जैसे दोष से मुक्ति मिल जाती है.