Connect with us

एक साथ मिलकर विश्वयुद्ध लड़ने वाले रशिया और अमेरिका बन गए जानी दुश्मन

फोकट का ज्ञान

एक साथ मिलकर विश्वयुद्ध लड़ने वाले रशिया और अमेरिका बन गए जानी दुश्मन

विश्व शक्ति बनने की होड़ में अमेरिका और रशिया ने पृथ्वी को दो भागों में बाट दिया

वह कहते हैं ना कि दोस्ती कब दुश्मनी में बदल जाती है यह पता नहीं चलता है. रशिया और अमेरिका जैसी दो बड़ी महा शक्तियों के बीच भी कुछ ऐसा ही हुआ. पूरी दुनिया ने यह कभी उम्मीद नहीं की थी कि इन दो देशों ने जो विश्व युद्ध की लड़ाई एक साथ मिल के लड़ी आखिर किन कारणों से वह एक दूसरे के ही जानी दुश्मन बन गए!पर कहां जाता है ना कि जिस तरह से एक म्यान में दो तलवार नहीं रह सकती, एक इलाके में वैसे ही दो शेर नहीं रह सकते. पिछले सालों से कुछ ऐसा ही देखने को मिलता रहा है.

अमेरिका और रशिया का पुराना संबंध एक साथ विश्वयुद्ध लड़ने की कहानी
जर्मनी के नाज़ी शक्ति को कमजोर करने के लिए यह दोनों महा शक्तियों ने एक साथ मिलकर युद्ध लड़ा। पहले विश्व युद्ध में और दूसरे विश्व युद्ध में इन दोनों की जोड़ी ने पूरी दुनिया को यह संदेश दिया कि अगर राशिया और अमेरिका एक साथ हो जाए तो दुनिया की कोई शक्ति उन्हें हरा नहीं सकती।दूसरा विश्व युद्ध खत्म होने के बाद सोवियत संघ और अमेरिका सबसे ताकतवर देश बचे थे और दोनों ही बाकी दुनिया को अपनी तरह से चलाने की कोशिश करने लगे. एक ओर जहां अमेरिका खुद को दिन प्रतिदिन मजबूत करने की कोशिश कर रहा था तो वहीं दूसरी ओर सोवियत संघ के टूट जाने के बाद रशियन सरकार को गहरा झटका लगा। दोनों देशों की प्राथमिकताएं बदलने लगी।

दोनों के बीच आपसी रंजिश
अमेरिका और रूस के बीच उत्पन्न तनाव की स्थिति को शीत युद्ध के नाम से भी जाना जाता है. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ब्रिटेन और सोवियत संघ ने कंधे से कंधा मिलाकर जर्मनी, इटली और जापान के विरुद्ध संघर्ष किया. रूस के नेतृत्व में साम्यवादी और अमेरिका के नेतृत्व में पूंजीवादी देश 2 हिस्से में बंट गए. युद्ध के लक्षण द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ही प्रकट होने लगे थे, जब दोनों महाशक्ति अपने अपने स्वार्थ को ध्यान में रखकर युद्ध लड़ रही थी. इसके सबसे बड़े कारण थे पूंजीवादी और साम्यवादी विचारधारा का प्रचार और सोवियत संघ द्वारा याल्टा समझौते का पालन ना किया जाना. शीत युद्ध के कारण दोनों देशों के बीच तनाव पैदा हुआ जिस कारण अन्य देशों पर भी इसका असर पड़ा. आमतौर पर देखा जाए तो यह ऐसी परिस्थिति थी जब युद्ध तो नहीं हुआ लेकिन एक दूसरे देश के बीच तनाव हमेशा रहा. अमेरिका पूंजीवाद पर यकीन करता जबकि सोवियत संघ कम्युनिस्ट विचारधारा वाला था. दोनों को यकीन था कि उनके सिस्टम से दुनिया ज्यादा सही ढंग से चल सकेगी और धीरे-धीरे यही तनाव की वजह बनने लगा. दूसरा युद्ध खत्म होने के चलते कोई भी देश सीधे- सीधे हमला करने की स्थिति में नहीं था, लेकिन वे खुद को ज्यादा ताकतवर बनाने की कोशिश करने लगे. रूस अमेरिका दोनों ही स्पेस पर कब्जा चाहते थे और धीरे-धीरे दोनों ही परमाणु हथियार बनाने लगे।

दोनों विश्व युद्ध में अमेरिका और रशिया की सेनाएं एकजुट होकर युद्ध लड़ी थीं.

आगे पढ़ें
You may also like...

journalist

More in फोकट का ज्ञान

To Top