इस वक्त यूनिफॉर्म सिविल कोड की जोड़-शोर से चर्चा चल रही है जिससे कोई भी अनजान नहीं है. इस मुद्दे के चर्चा में आते ही लोग अपनी- अपनी राय पेश करते नजर आ रहे हैं. इसकी चर्चा और भी तेज तब हो गई जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बयान में यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुद्दा उठाया. उनका साफ तौर पर मानना है कि एक घर में दो कानून नहीं रह सकते हैं जिसके बाद इस वक्त सियासी घमासान छिड़ा हुआ है और देश दो हिस्सों में बटता नजर आ रहा है. मुस्लिम समुदाय के लोग इसका विरोध कर रहे हैं जिस कारण अब मुसलमानों को इस कानून के प्रति समझाने की कोशिश की जा रही है. आज हम आपको बताएंगे कि यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है और इसे भारत में लागू करने की बात क्यों कही जा रही है.
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड इस कानून का साफ मतलब है एक देश और एक कानून. समान नागरिक संहिता समाज के सभी वर्गों के साथ चाहे उनका धर्म, जाति, संप्रदाय वर्ग जो भी हो राष्ट्रीय नागरिकता संहिता के अनुसार समान व्यवहार किया जाएगा. विवाह, विरासत, गोद लेने, तलाक और संपत्ति के उत्तराधिकार जैसे क्षेत्रों को यह कवर करता है. अगर यूसीसी लागू किया जाता है तो फिर हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन समेत कई धर्म को लेकर वर्तमान में जो कानून चल रहे हैं वह निरस्त हो जाएंगे और सभी के लिए एक जैसे नियम बनाए जाएंगे. यह तो हम सभी जानते हैं कि भारत विविधताओं से भरा देश है जहां जाति और धर्म के आधार पर अलग-अलग कानून और मैरिज एक्ट बनाए गए हैं. इसी वजह से सामाजिक ढांचा भी बिगड़ा हुआ है. यही वजह है कि एक देश एक कानून के तहत यूनिफॉर्म सिविल कोड को सरकार द्वारा लागू करने की मांग की जा रही है.
मुस्लिम समुदाय इसका विरोध क्यों कर रहे हैं यूनिफॉर्म सिविल कोर्ड की चर्चा के बाद मुसलमानों का कहना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए यह मोदी का एजेंडा है. मुसलमानों का मानना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के आने से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का वजूद खतरे में पड़ जाएगा. मुस्लिम धर्मगुरु को यूनिफॉर्म सिविल कोड के जरिए मुसलमानों पर हिंदू रीति रिवाज रोकने की कोशिश किए जाने का भी शक है. दरअसल कई मुसलमानों को डर है कि यूसीसी के लागू होने से शरिया में निहित उनके कई निजी कानून खत्म हो जाएंगे. शरिया कानून मुस्लिम पुरुषों को एक साथ चार पत्नियां रखने की अनुमति देता है.
सरकार भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड क्यों लागू करना चाहती है भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में लोगों का एकसमान होना जरूरी है. यही वजह है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू किया जा रहा है जिससे विवाह, तलाक, रखरखाव, गोद लेने और विरासत जैसे मामलों को नियंत्रित किए जाएंगे. अलग-अलग कानून की वजह से न्यायिक प्रणाली पर भी असर पड़ता है जिस कारण इसे लागू करने की बात हो रही है, ताकि महिलाओं को सशक्त बनाना और धार्मिक अल्पसंख्यकों सहित कमजोर वर्गों को सुरक्षा प्रदान करना है.