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धर्म और वास्तुकला का अलौकिक केंद्र केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, जानें मंदिर की विशेषता

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धर्म और वास्तुकला का अलौकिक केंद्र केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, जानें मंदिर की विशेषता

भगवान शिव के दर्शन करने के लिए तो कई मंदिर हैं पर मन की शांति और स्वर्ग का रास्ता तो केदारनाथ जाकर ही खुलता है. इस मंदिर को देखकर सबसे पहला ख्याल जो दिमाग में आता है, वह ये है कि आखिर इतनी ऊंचाई पर किसी मंदिर को कैसे बनाया जा सकता है, पर कहते हैं ना कि शिव की महिमा कुछ भी करवा सकती है. यहां आने पर आपको शिवलिंग के चारों ओर परिक्रमा करने के लिए एक कक्ष बना हुआ नजर आएगा और मंदिर के बाहर नंदी भगवान शिव की सवारी के रूप में विराजित है. केदारनाथ मंदिर के बीच में भगवान गणेश की मूर्ति है और साथ में मां पार्वती का यंत्र भी स्थापित किया गया है. आज हम आपको केदारनाथ ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कई ऐसी बातें बताएंगे जिसके बाद आपके लिए शिव की भक्ति और भी बढ़ जाएगी.

केदारनाथ मंदिर का परिचय
गिरिराज हिमालय की केदार नामक चोटी पर स्थित देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ ज्योतिर्लिंग है जो मंदिर तीन तरफ पहाड़ों से घिरा है. एक तरफ 22000 फुट ऊंचा केदारनाथ, दूसरी तरफ 21600 फुट ऊंचा खर्चकुंड और तीसरी तरफ 22749 भरतकुंड है. ना सिर्फ तीन पहाड़ ब्लकि पांच नदियों का संगम भी यहां है जिनमें मंदाकिनी, मधुगंगा, सरस्वती, स्वर्ण गौरी और क्षीरगंगा शामिल है. भगवान शिव का यह मंदिर लगभग 6 फुट ऊंचे चबूतरे पर बना है।केदारनाथ ज्योतिर्लिंग से जुड़ी यह मान्यता है कि जब हिमालय के केदार श्रृंग पर भगवान विष्णु के अवतार महत्वपूर्ण नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे. उस वक्त उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उनके कहने के मुताबिक ज्योतिर्लिंग के रूप में वहां सदा वास करने का वर प्रदान किया.
साल के 6 महीने तक मंदिर के कपाट बंद रहते हैं. हिंदू धर्म के सबसे बड़े पर्व दीपावली के दूसरे दिन शीत ऋतु में मंदिर के द्वार बंद किए जाते हैं और लगभग 6 महीने तक दीपक जलता रहता है. 6 महीने बाद फिर मई महीने में केदारनाथ के कपाट खुलते हैं. तब जाकर उत्तराखंड की यात्रा आरंभ होती है.  दरअसल केदारनाथ का मंदिर हमेशा बर्फ से ढका रहता है जहां खराब मौसम की वजह से 6 महीने तक मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं.

केदारनाथ मंदिर के बारे में कुछ खास बातें
1. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग में जो शिवलिंग है वह त्रिकोण के आकार का है जिसे भगवान शिव के एक अवतार का पहला भाग माना जाता है.

2. इस मंदिर को बनाने के लिए किसी भी तरह के सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है. बड़े-बड़े पत्थरों और चट्टानों और शीला खंडों को आपस में जोड़ने की तकनीक से इसे बनाया गया है.

3. 400 वर्षों तक केदारनाथ मंदिर बर्फ में ढ़का रहने के बावजूद भी इस पर कोई आंच नहीं आई थी.

4. केदारनाथ के दर्शन किए बिना बद्रीनाथ की यात्रा अधूरी मानी जाती है.

5. इस मंदिर के गर्भगृह के बाहर पांच पांडवों के साथ द्रौपदी की मूर्ति भी स्थापित की गई है.

6. केदारनाथ का यह मंदिर केवल गर्मी के दिनों में अप्रैल से नवंबर के बीच खुला रहता है.

सर्दियों में 6 महीने बंद रहने के बाद पुनः मंदिर के पट खुलने के उपलक्ष पर सज-धज कर तैयार केदारनाथ मंदिर.

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