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रशिया को ही चुनौती दे रही उसकी प्राइवेट आर्मी, छाए हैं गृहयुद्ध के हालात

गरम मुद्दा

रशिया को ही चुनौती दे रही उसकी प्राइवेट आर्मी, छाए हैं गृहयुद्ध के हालात

एक ऐसी सेना जिसे अपने देश से कोई मतलब नहीं है और जो पैसे के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार है, वह कोई और नहीं वैगनर ग्रुप है, जिसके किस्से बहुत ही पुराने हैं और रसिया के साथ तो यह पूरा मुद्दा इस साल जनवरी में शुरू हुआ. जब प्रिगोझिन ने यूक्रेन में डोनेट्स्क क्षेत्र में नमक खनन शहर,सोलेडर पर कब्जा करने का पूरा श्रेय लिया और रूसी रक्षा मंत्रालय पर वैगनर की ग्लोरी को चुराने की कोशिश करने का आरोप लगाया. उन्होंने बार-बार शिकायत की है कि रूसी सेना वैगनेर को बखमुत शहर पर नियंत्रण के लिए पर्याप्त गोला बारूद उपलब्ध कराने में विफल रही और उन्होंने अपने लोगों को बाहर निकालने की धमकी दी. इसके बाद रूसी रक्षा मंत्रालय ने वैगनर जैसी कंपनियों को औपचारिक रूप से नियमित रूसी सेना में शामिल होने के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर करने का आदेश जारी कर दिया. घोषणा में वैगनर समूह का नाम नहीं लिया गया था लेकिन इस कदम को सरकार की ओर से ग्रुप पर ज्यादा नियंत्रण हासिल करने की कोशिश के तौर पर देखा गया. इसके बाद वैगनआर ग्रुप के प्रमुख प्रिगोझिन ने घोषणा कर दी कि उनकी सेना है इस अनुबंध का बहिष्कार करेगी और यहीं से रूस और  वैगनर ग्रुप के बीच टकराव चरम पर पहुंच गया.

वैगनर आर्मी का परिचय और अस्तित्व में आने की कहानी
वैगनर ग्रुप एक रूसी अर्ध सैनिक संगठन है जो रूस में कानून से परे काम करता है. यह मूल रूप से एक निजी सैन्य कंपनी और भाड़े के सैनिकों का एक बहुत बड़ा नेटवर्क है. इस संगठन पर देश का कोई भी कानून और नियम लागू नहीं होता जिसे साल 2014 में यूक्रेन से संघर्ष के दौरान पहचान मिली थी. एक तरफ से इसे देश की प्राइवेट आर्मी के तौर पर भी देखा जा सकता है. यह लड़ाके रूस के उन जगहों पर जंग लड़ते हैं जहां रूस प्रत्यक्ष रूप से अपनी सेना नहीं भेज सकता है. वैगनर तानाशाही और सरकारों को भाड़े के सैनिक उपलब्ध कराने के लिए पैसे लेता है.
वैगनर ग्रुप अपनी बर्बरता के लिए जाना जाता है जिसमें पूर्व सैनिकों,सजा काट रहे अपराधियों को शामिल किया जाता है. रूस की खुफिया एजेंसी जी.आर.यू द्वारा इस ग्रुप की फंडिंग की जाती है. हालांकि रूस इस ग्रुप के अस्तित्व को हमेशा से नकारता आया है. वैगनआर ग्रुप में 50000 के करीब लड़ाके हैं जो दुनिया के कई देशों में एक्टिव हैं.

रसिया के लिए कैसे चुनौती बन गई वैगनर सेना
धीरे-धीरे वैगनर लड़ाके रशिया के लिए परेशानी बनते जा रहे हैं और कई अलग-अलग देशों के युद्ध में भी हिस्सा ले रहे हैं. कुछ दिनों पहले तो इस सेना ने राष्ट्रपति पुतिन के खिलाफ विद्रोह कर दिया था।रूस के हवाले यह स्पष्ट कर दिया जा चुका है कि यह सेना गैरकानूनी है. इसके बाद भी वैगनर ग्रुप एक कंपनी में पंजीकृत है. इसका मुख्यालय saint-petersburg में है. इस कथित प्रतिबंध के बाद भी यह संगठन ढूंढकर अलग-अलग शहरों में बड़े पैमाने पर भर्तियां कर रहा है.ग्रुप पर अभी तक मानव अधिकार उल्लंघन और आम लोगों पर अत्याचार के कई आरोप भी लगाए जा चुके हैं. वहीं कई देशों में इस संगठन पर हिंसा भड़काने, प्राकृतिक संपदा पर कब्जा करने और आम लोगों की जान लेने का भी आरोप है.

वैगनर आर्मी के चीफ प्रिगोझीन अपने लड़ाकों के साथ.

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