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पूजा पाठ के लिए उत्तम माना गया है अधिक मास, 3 वर्षों पर आता है यह संयोग

धर्म- कर्म

पूजा पाठ के लिए उत्तम माना गया है अधिक मास, 3 वर्षों पर आता है यह संयोग

इस बार का सावन इस वजह से भी ज्यादा चर्चा में हैं क्योंकि इस बार सावन में अधिक मास का संयोग बन रहा है. आपने गौर किया होगा कि हिंदू कैलेंडर में हर 3 साल में एक बार अधिक मास आता है. इस महीने की विशेषता के साथ-साथ इसके महत्व भी है. कहा जाता है कि अधिक मास में जो व्यक्ति पूजा करता है उसे कभी भी धन की कमी नहीं होती और मृत्यु के बाद उसे स्वर्ग लोक में स्थान प्राप्त होता है. आज हम आपको बताने वाले है कि अधिक मास इतना महत्वपूर्ण क्यों है और इसमें पूजा पाठ करने से हमें किस तरह के नियम का पालन करना चाहिए और सबसे बड़ी बात जो हम चर्चा करेंगे कि आखिर हर 3 साल के बाद ही ये मास क्यों आता है.

इसे अधिक मास क्यों कहते हैं
जैसे अंग्रेजी कैलेंडर में लीप ईयर होता है. उसी तरह हिंदी पंचांग में अधिक मास होता है. लीप ईयर में केवल एक दिन बढ़ता है, जबकि अधिक मास में हिंदी वर्ष में पूरा एक महीना बढ़ जाता है. अधिक मास कभी भी पूर्णिमा से शुरू नहीं होता है. ये अमावस्या के बाद ही शुरू होता है. 32 महीने और 15 दिन के बाद जिस भी महीने की अमावस्या होगी उसी महीने का अधिक मास भी होगा. अधिक मास को मलमास भी कहा जाता है. इसकी वजह यह है कि हिंदू धर्म के विशिष्ट व्यक्तिगत संस्कार जैसे नामकरण, विवाह और सामान्य धार्मिक संस्कार, गृह प्रवेश और नई वस्तुओं की खरीदी आमतौर पर नहीं की जाती है. मलिन मानने के कारण ही इस मास का नाम मलमास पड़ गया है. अधिक मास हर 3 साल के बाद ही आता है. इसके पीछे वजह यह है कि सूर्य वर्ष और चंद्रमा के बीच अंतर का संतुलन बनाने के लिए ऐसा होता है. दरअसल प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है. वही चंद्र वर्ष 354 दिन का माना जाता है. दोनों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है जो हर 3 वर्ष में लगभग 1 माह के बराबर हो जाता है. इस अंतर को पाटने के लिए हर 3 साल में अतिरिक्त मास आता है जिसे हम अधिक मास कहते हैं.

अधिक मास में पूजा पाठ के विशेष महत्व और फायदे
इस महीने में भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों को 10 गुना ज्यादा फल की प्राप्ति होती है. जिस काम को आप करने जाते हैं वहां पर आपको सफलता मिलती है. अधिक मास में निष्काम भाव से किए गए तप, पूजा-पाठ, दान पुण्य, अनुष्ठान आदि का महत्व सर्वाधिक रहता है. बुजुर्गों की सेवा करना, वृद्ध आश्रम में अन्न वस्त्र का दान करना, विद्यार्थियों को पुस्तक का दान तथा संत महात्माओं को धार्मिक ग्रंथों का दान करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. इस महीने में कपड़े, गहने, घर, दुकान, कार की खरीदारी नहीं की जाती है. इसके अलावा अधिक मास में सत्यनारायण की कथा से भी विशेष लाभ मिलता है, जिससे आपके घर में सुख समृद्धि का वास होता है. इसके साथ ही आप इस महीने महामृत्युंजय का जाप कर सकते हैं, जिससे आपके सभी कष्ट दूर होते है. इस महीने में नेक विचार से भगवान विष्णु के सामने पूजा पाठ करने से भौतिक सुख और उन्नति की प्राप्ति होती है.

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