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उत्तरकाशी में स्थित रुद्रेश्वर महादेव मंदिर शिव भक्तों के लिए आस्था केंद्र,जाने मंदिर की महिमा

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शिव का एक ऐसा मंदिर जहां भक्तों को साक्षात शिव के पास होने का आभास होता है. यह रुद्रेश्वर महादेव का मंदिर है जहां अगर सच्चे मन से शिव को याद किया जाए तो सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. इस मंदिर को लेकर ऐसी कई मान्यताएं हैं जिस कारण देश के अलग-अलग कोने से श्रद्धालु यहां पर अपनी मनोकामना पूरी करने आते हैं. यहां केवल मात्र आने से ही आपको शांति की अनुभूति होती है. यहां पर जलाभिषेक और गणेश पूजा करके लोग अपनी पूजा अर्चना करते हैं. सावन और शिवरात्रि में यहां पर हजारों भक्तों का तांता लग जाता है. आइए आज हम आपको इस मंदिर से जुड़ी कई ऐसी रोचक बाते बताएंगे कि किस तरह यह मंदिर अपने ऐतिहासिक महत्व के कारण चर्चा में रहता है और भगवान शिव किस प्रकार अपनी कृपा से सब की मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में स्थित रूद्रेश्वर महादेव मंदिर का परिचय
इस मंदिर को लेकर एक पौराणिक मान्यता है कि यहां पर गुरु द्रोणाचार्य ने कौरवों और पांडवों को शास्त्रार्थ की शिक्षा दी थी. उन्होंने यहां एक आदर्श शिवलिंग स्थापित की थी जो उत्तराखंड के अन्य किसी मंदिर में नहीं दिखाई देता है. एक ही छत के नीचे यहां पर आपको भगवान शिव के साथ-साथ विष्णु और सूर्य देव की मूर्ति देखने को मिलती है. मंदिर के मुख्य दरवाजे पर भगवान शिव के प्रिय नंदी की विशाल प्रतिमा को स्थापित किया गया है. दरअसल इस मंदिर का निर्माण काकतीय राजा रूद्र देव ने 12 वीं शताब्दी में करवाया था. ना जाने कितनी प्राकृतिक आपदा आई लेकिन इस मंदिर को आज तक कोई नुकसान नहीं हुआ. भगवान शिव के इस मंदिर में शिव तांडव, हनुमान जी की मूर्ति के अलावा माता की मूर्ति में गणेश और कार्तिकेय एक साथ देखने को मिलते हैं.

प्रत्येक वर्ष सावन में यहां लगता है मेला
सावन महीने में रुदेश्वर मंदिर में बहुत ही भव्य तरीके से मेले का आयोजन होता है जिसमें स्त्री, पुरुष, युवा अपनी पारंपरिक वस्त्र में नजर आते हैं. इस मेले में 65 गांव के हजारों की संख्या में ग्रामीण शामिल होते हैं. गांव के लोग ढोल, दमाऊ लेकर अपनी संस्कृति का प्रदर्शन करते हैं।
मंदिर समिति की ओर से सावन महीने में पूजा के लिए यहां पर विशेष रूप से व्यवस्था की जाती है.

मंदिर से जुड़ी रोचक बातें*
1. यह उत्तराखंड की सबसे प्राचीनतम मंदिरों में से एक मानी जाती है जिसका अभी जीर्णोद्धार हुआ है.

2. इस मंदिर परिसर में आपको चार रुद्राक्ष के पेड़ नजर आएंगे. इसके साथ ही साथ बंदर, हाथी, मोर और कई अन्य तरह के वन्य जीव भी देखने को मिलते हैं.

3. यहां मंदिर के स्तंभों पर बेहद ही बारीकी से वास्तुकला की गई है जिसमें सुई से भी बारीक छेद नजर आता है.

4. इस मंदिर के निर्माण में लगभग 72 साल लगे. इसकी नींव में बालू भरी हुई है जो इस बात का प्रमाण है कि यह भूकंप रोधी है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्रीराम ने वन गमन के दौरान यहां पर भगवान रूद्रेश्वर की पूजा करके अपने आगे का मार्ग तय किया था.

रुद्रेश्वर महादेव मंदिर में प्रत्येक वर्ष लगने वाले मेले की एक तस्वीर.

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