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कहानी एक ऐसे देश की जिस पर गिर चुके हैं करोड़ों बम

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कहानी एक ऐसे देश की जिस पर गिर चुके हैं करोड़ों बम

एक ऐसा देश जिसकी धरती आज भी इस बात का गवाह है कि उस पर किस तरह करोड़ों बम गिराए गए थे. आज लगभग 40 साल गुजरने के बावजूद लाओस की धरती पर आज भी इसके जख्म के निशान आपको देखने को मिल जाएंगे. वियतनाम युद्ध के दौरान अमेरिका ने लाओस की धरती पर जो बम गिराए थे, वह आज भी जमीन में दफन है. कहा जाता है कि यहां लगभग आठ करोड़ बम जमीन में दफन है जिसके चलते यहां के लोग भगवान भरोसे ही जी रहे हैं. हर पल लोग यहां दहशत में रहते हैं, जहां कभी भी कुछ भी हो सकता है. आज हम आपको बताएंगे कि लाओस में अमेरिका ने किस प्रकार अपना प्रकोप बरसाया था और आखिर किस कारण से अमेरिका ने यह कदम उठाया था.

एशिया महाद्वीप के लाओस देश का परिचय
लाओस भूमि से घिरा हुआ एक लैंडलॉक देश है जिसकी सीमा उत्तर में चीन और म्यांमार, पूर्व में वियतनाम, दक्षिण में कंबोडिया, पश्चिम में थाईलैंड और मेकांग नदी से लगती है. यहां पर लगभग 7 मिलियन लोगों की आबादी है, जहां पर बौद्ध धर्म प्रमुख माना जाता है. दक्षिण पूर्व एशिया का सबसे गरीब देश होने के बावजूद अभी कुछ वर्षों में वह आर्थिक विकास की राह पर चल पड़ा है. यहां पर कीप नाम की मुद्रा चलती है. यहां की अर्थव्यवस्था अपने पड़ोसी यानी कि थाईलैंड, वियतनाम और मुख्य रूप से चीन में निवेश और व्यापार पर निर्भर करती है. यहां के लोगों के जीवन का मुख्य आधार कृषि है. यहां पर रहने वाले लोग चावल उत्पादन में आत्मनिर्भर है. इसके अलावा मक्का, शकरकंद और कई तरह की सब्जियां और फल का भी उत्पादन किया जाता है. यहां पर प्रचुर मात्रा में खनिज भंडार पाया जाता है जिसका इस्तेमाल कर अब लोग धीरे-धीरे आत्मनिर्भर बन रहे है.

लाओस पर अमेरिका ने क्यों गिराए करोड़ों बम
कहा जाता है कि लाओस की जमीन पर युद्ध के दौरान अमेरिका ने 27 करोड़ से भी ज्यादा बम गिराए थे. बमबारी में 20000 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और हजारों की संख्या में लोग घायल हुए थे. तभी तो आज इतने दशक के बावजूद भी जमीन में जो बम दबे हुए हैं उसके ब्लास्ट होने का सिलसिला खत्म नहीं हुआ है.  इन बमों का सबसे ज्यादा शिकार यहां पर बच्चे हो रहे हैं. दरअसल 1964 से 1973 के बीच वियतनाम युद्ध के दौरान उत्तरी वियतनाम और सोवियत संघ एक साथ कम्युनिस्ट पाथेट लाओस पर आक्रमण के लिए एक गुप्त प्रयास कर रहे थे और लाओस, अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध का मैदान बन गया.जिसमें अमेरिकी हमलावरो ने लाओस पर 2 मिलियन टन से अधिक क्लस्टर बम गिराए. यही वजह है कि आज लाओस इतिहास का सबसे भारी बमबारी वाला देश है.
इस बमबारी में लगभग दोनों तरफ से लाखों की संख्या में लोगों की मौत हुई जिसके बावजूद किसी की भी जीत नहीं हुई. इस युद्ध में अमेरिका ने पानी की तरह पैसा बहाया था.फिर भी उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ. लोग तो यहां तक कहते हैं कि वियतनाम ने अमेरिका को इस युद्ध में करारा झटका दिया था. जिस कारण उन्होंने अपने पैर पीछे खींच लिए. अमेरिका के पीछे हटने की एक सबसे बड़ी वजह यह थी कि युद्ध की वजह से अमेरिकी सरकार को अपने ही देश के लोगों और अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना करना पड़ रहा था जिस कारण अमेरिका को अपने पैर पीछे खींचने पड़े. उस वक्त के तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने अपनी सेना वापस बुला ली थी.

लाओस में बम और मिसाइलों के इतने अवशेष भरे हुए हैं कि लोगों ने उनके साथ जीवन जीना सीख लिया है.

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