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भुवनेश्वर का प्रसिद्ध शिव मंदिर जहां शिव और हरि की एक साथ होती है पूजा

धर्म- कर्म

भुवनेश्वर का प्रसिद्ध शिव मंदिर जहां शिव और हरि की एक साथ होती है पूजा

दुनिया में तमाम ऐसे मंदिर है जहां भगवान शिव की अलग-अलग तरह से भव्य रूप में पूजा की जाती है. इस वक्त सावन का महीना चल रहा है, जो भगवान शिव को काफी प्रिय होता है. इस महीने में भक्त भगवान शिव के दर्शन करने के लिए अलग-अलग तीर्थ स्थल पर जाते हैं. आज हम आपको भगवान शिव के एक भव्य मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर भगवान शिव को लिंगम का राजा कहा जाता है और यहां भगवान शिव की पत्नी को भुवनेश्वरी भी कहा जाता है. यह भारत में एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पर भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की एक साथ पूजा की जाती है.

लिंगराज महादेव मंदिर का परिचय
उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में स्थित लिंगराज मंदिर हिंदुओं की आस्था का बड़ा केंद्र माना जाता है, जहां लोग शिव और हरी दोनों का पूजन करते हैं. इस मंदिर का प्रांगण 150 मीटर वर्गाकार में फैला हुआ है, जिसका प्रथम गर्भगृह देवुल और दूसरा भाग जगमोहन कहलाता है. इस मंदिर को पूरी तरह बलुआ पत्थर से निर्माण किया गया है, जिसके अंदर लगभग 100 से भी ज्यादा छोटे-छोटे मंदिर निर्मित है. भगवान शिव का यह मंदिर 8 फीट मोटा और लगभग 1 फीट ऊंचा ग्रेनाइट स्वयंभू लिंग पर स्थित है. इस मंदिर की बनावट इतनी ज्यादा आकर्षक है कि लोग यहां का नजारा जब देखते है तो उनका मन पूरी तरह से खूबसूरत दृश्य मोह लेते हैं. हर साल एक बार लिंगराज की छवि को बिंदु सागर झील के केंद्र में जल मंदिर तक ले जाया जाता है. कहा जाता है कि यहां मां पार्वती ने लिट्टी और वसा नाम के दो राक्षसों का वध किया था और लड़ाई के बाद जब उन्हें प्यास लगी तो भगवान शिव ने यहां पर एक कुएं का निर्माण कर सभी नदियों का आवाहन किया था. वर्तमान में जो मंदिर है उसका निर्माण सोमवंशी राजा जजाति केसरी ने 11वीं शताब्दी में कराया था. यहां पर शिवलिंग के बीच में चांदी के शालिग्राम भगवान स्थित है, जिसे देखकर ऐसा लगता हे कि मानो भगवान शिव के हृदय में भगवान विष्णु विराजमान है. यह मंदिर सुबह 6:30 बजे खुलता है जहां सावन के महीने में हजारों भक्तों की भीड़ नजर आती है.

लिंगराज मंदिर की 8 खास बातें
1. इस मंदिर का महाप्रसाद काफी लोकप्रिय है, जिसे मिट्टी के बर्तन में पुजारियों द्वारा तैयार किया जाता है.
2. इस मंदिर के अंदर गैर हिंदू लोगों को प्रवेश करने की अनुमति नहीं है.
3. यहां के क्षेत्रपति अनंत वासुदेव है जिनकी पूजा के बाद ही लिंगराज की पूजा की जाती है.
4. कहा जाता है कि यहां का शिवलिंग स्वयंभू यानी कि खुद-ब-खुद प्रकट हुआ है.
5. लिंगराज मंदिर में कैमरा, मोबाइल फोन, चमड़े की कोई भी सामग्री, पॉलिथीन और बैग ले जाने की अनुमति नहीं है.
6. लिंगराज मंदिर से होकर एक नदी गुजरती है. यदि इस नदी के पानी में स्नान किया जाए तो मनुष्य की शारीरिक और मानसिक बीमारियां दूर हो जाती है.
7. लिंगराज के इस मंदिर का निर्माण कलिंग और उड़िया शैली में किया गया है.
8. लिंगराज मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार पूर्व की ओर से बलुआ पत्थर और लेटराइट से बना हुआ है. वहीं पूर्व में स्थित मुख्य प्रवेश द्वार के साथ दक्षिण और उत्तर में दो छोटे प्रवेश द्वार है.

इस मंदिर के बनावट में जिस शिल्पकार पद्धति का प्रयोग किया गया है उसे देख आप हैरान रह जाएंगे.

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