खेल - कूद
जबड़े टूट गए पर हौसले बुलंद थे, टूटे जबड़े से गेंदबाज ने लिया था लारा का विकेट
जो खिलाड़ी अपने खेल के लिए पूरी तरह से समर्पित होता है उसे खेल के अलावा मैदान पर कुछ नजर नहीं आता और इसका सबसे बड़ा उदाहरण भारत के महानतम खिलाड़ियों में से एक गिने जाने वाले अनिल कुंबले हैं. उनकी उपलब्धियों को अगर गिना जाए तो गिनती कम पड़ जाएंगी. साल 2002 में जिस तरह इस खिलाड़ी ने टूटे हुए जबड़े के साथ ब्रायन लारा जैसे दिग्गज खिलाड़ी का विकेट लिया. वह शायद इस दुनिया में कोई नहीं कर सकता था. चेहरे पर पट्टी बांधे हुए कुंबले ने ब्रायन लारा को एलबीडब्ल्यू आउट किया था.आज हम आपको टीम इंडिया के एक ऐसे नायाब सितारे के बारे में बताएंगे जिन्होंने भारत के लिए कई बड़ी-बड़ी उपलब्धियों को अपने नाम किया है.
दुनिया के बेहतरीन स्पिन गेंदबाज अनिल कुंबले का परिचय और क्रिकेट में आने की कहानी
कर्नाटक के मैसूर में 17 अक्टूबर 1970 को अनिल कुंबले का जन्म हुआ था. वह शुरू से सरल स्वभाव के थे जिन्हें बचपन से ही क्रिकेट से काफी लगाव था. जब 1983 को भारत वर्ल्ड चैंपियन बना तो अनिल कुंबले के मन पर इसका काफी असर पड़ा था और यहीं से उन्होंने क्रिकेटर बनने की ठान ली. 30 नवंबर 1989 को उन्होंने अपना पहला फर्स्ट क्लास मैच कर्नाटक की तरफ से खेला जिस बेहतरीन प्रदर्शन के कारण उन्हें पाकिस्तान के खिलाफ अंडर-19 टीम में चुना गया. उसके बाद 1990 को उन्होंने पहला एकदिवसीय मैच श्रीलंका के विरुद्ध खेलकर अंतरराष्ट्रीय मैच का पर्दापण किया.1993 में हीरो कप के फाइनल में उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ 12 रन पर 6 विकेट लेकर क्रिकेट इतिहास में एक अलग ही हलचल मचा दी थी. इन्होंने 1 साल तक टीम इंडिया की कप्तानी भी की है. साल 1999 में पाकिस्तान के साथ एक टेस्ट मैच की एक पारी में सभी 10 विकेट लेने का रिकॉर्ड अनिल कुंबले के नाम दर्ज है, जिन्होंने भारत के लिए 132 टेस्ट की 236 पारियों में 619 विकेट लिए हैं. वही 271 एकदिवसीय मैच की 265 पारियों में 337 विकेट उनके नाम दर्ज है.
टूटे जबड़े से गेंदबाजी करते हुए ब्रायन लारा का विकेट लेने की कहानी
भारत और वेस्टइंडीज के बीच 2002 में पांच मैचों की सीरीज चल रही थी जो एक-एक की बराबरी पर थी और यह चौथा टेस्ट मुकाबला था. जब अनिल कुंबले बल्लेबाजी करने उतरे तो वेस्टइंडीज के गेंदबाज मर्वन डिल्लनर की उठती हुई गेंद उनके जबड़े पर जा लगी जिसके कुछ ही सेकंड बाद उनके मुंह से काफी मात्रा में खून निकलने लगा. कोई और खिलाड़ी होता तो सीधे मैदान से बाहर चला जाता पर वह अनिल कुंबले थे. उन्होंने हार नहीं मानी. दरअसल इससे पहले जो दो टेस्ट मैच हुए थे उनमें अनिल कुंबले को ड्रॉप कर दिया गया था और तीसरे मुकाबले की प्लेइंग इलेवन में वह इकलौते स्पिनर थे, खून से लथपथ होने के बावजूद अनिल कुंबले दूसरी पारी में पट्टी बांधकर मैदान पर वापस लौटे और उन्होंने अपनी शानदार गेंदबाजी से ब्रायन लारा का विकेट लिया. चोट लगने के बाद भी कुंबले ने कुल 14 ओवर की गेंदबाजी की. भले ही यह मुकाबला ड्रॉ हो गया था पर अनिल कुंबले के इस यादगार प्रदर्शन को हमेशा के लिए याद रखा जाएगा.