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बेंगलुरु में ऑनलाइन किताब डिलीवरी से शुरू किया था सफर, आज 40 अरब की बन गई है कंपनी

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बेंगलुरु में ऑनलाइन किताब डिलीवरी से शुरू किया था सफर, आज 40 अरब की बन गई है कंपनी

आज जो स्मार्टफोन उठा कर हम चुटकियों में कुछ भी आर्डर करके अपने घर मंगा लेते हैं उसकी शुरुआत आसान नहीं रही. यह सफर तय करने में काफी लंबा वक्त लगा. कुछ करने के लिए इंसान को कई बाधाओं को पार करना पड़ता है और कई कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है. फ्लिपकार्ट के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. आज पूरी दुनिया में एक बडी़ ताकत के तौर पर उभरने वाली फ्लिपकार्ट की शुरुआत बेंगलुरु में दो बेडरूम वाले अपार्टमेंट से हुई थी, जहां खुद सचिन बंसल और बिन्नी बंसल ने डिलीवरी से लेकर पैकेजिंग तक का जिम्मा खुद संभाला था और देखते ही देखते यह इतनी लोकप्रिय हो गई कि आज यह 40 अरब की कंपनी बन चुकी है और हर भारतीय की पहली पसंद है, जहां हम पल में अपने मन पसंदीदा कोई भी चीज ऑर्डर करके मंगा सकते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरफ फ्लिपकार्ट की शुरुआत हुई और यह इस मुकाम तक पहुंचा.

भारत में फ्लिपकार्ट कंपनी की शुरुआत
आज भारत में हर उम्र के लोगों की ऑनलाइन खरीदारी के लिए सबसे पहली पसंद बन चुका फ्लिपकार्ट. यह समय-समय पर अपने ग्राहकों के लिए अलग-अलग ऑफर लेकर आता है. साल 2007 में सचिन बंसल और बिन्नी बंसल द्वारा इसकी शुरुआत की गई थी. इसकी शुरुआत से पहले दोनों ऐमेज़ॉन में काम कर चुके थे, इसलिए थोड़ा बहुत तजुर्बा था. शुरुआत में यह ई-कॉमर्स कंपनी किताबें बेचती थी पर जब जापान के सॉफ्टबैंक द्वारा इसके 20 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी गई तो इस कंपनी की किस्मत बदल गई, जिसके बाद इस कंपनी ने साबुन से लेकर स्मार्टफोन सब कुछ ऑनलाइन बेचना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे मार्केट में अच्छी पकड़ होने के बाद फैशन से जुड़े उत्पाद भी फ्लिपकार्ट पर आने लगे. पहले साल में फ्लिपकार्ट पर केवल 20 आर्डर मिले और अगले कुछ समय तक संघर्ष करना पड़ा, क्योंकि उस वक्त भारत में लोगों को ऑनलाइन सामान मंगाने पर विश्वास नहीं हुआ करता था. साल 2010 में पहली बार जब कंपनी ने कैश ऑन डिलीवरी की सुविधा उपलब्ध की, उसके बाद से कई बदलाव आए जिसके बाद बिग बिलियन सेल और तरह-तरह के ऑफर ने लोगों को लुभाना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे कंपनी का टर्नओवर 300 मिलियन डॉलर पहुंच गया.

सचिन और बिन्नी बंसल ने फ्लिपकार्ट को क्यों बेच दिया
ऊंचाइयों के शिखर पर पहुंचने के बाद भी फ्लिपकार्ट के साथ हमेशा दिक्कतें देखने को मिलती रही. वेबसाइट पर अपलोड किए गए सामानों की कीमतें कई बार आवश्यकता से अधिक होती थी, जिसके कारण लोग परेशान होकर सर्विस और कीमत को लेकर आलोचना भी करते थे. बार-बार इस तरह की समस्या आने के कारण और मार्केट में नई कंपनियों से कंपटीशन बढ़ने के कारण फ्लिपकार्ट को नुकसान भी उठाना पड़ा, जिसके बाद साल 2018 में कंपनी ने 77 फ़ीसदी शेयर अमेरिका की रिटेल वॉलमार्ट को दे दिया जिसे वॉलमार्ट ने एक लाख करोड़ में खरीदा. अब फिलहाल सचिन बंसल कंपनी से अलग हो चुके हैं, जिससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि दो लाख से शुरू हुआ यह बिजनेस कहां से कहां तक पहुंच चुका है, जहां पहले की तरह इस वक्त फ्लिपकार्ट पर लोगों के लिए तरह तरह के आकर्षक ऑफर चलाए जा रहे हैं जो आज ग्राहकों के लिए एक भरोसेमंद ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म बन चुका है.

फ्लिपकार्ट के फाउंडर सचिन और बिन्नी बंसल.

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