आज के समय में अगर ₹1 लेकर बाजार में निकला जाए तो कोई सोच भी नहीं सकता है कि ₹1 में क्या मिलता है. ₹1 में तो इंसान अपनी मन पसंदीदा चॉकलेट तक नहीं खरीद सकता, पर अगर आपसे कोई कहे कि एक रुपए में आपको भरपेट खाना मिले तो शायद आप यकीन नहीं कर पाएंगे, पर यह पूरी तरह से सच है और इसे सच करके दिखाया है गौतम गंभीर ने, जो मात्र एक रुपए में अपनी जन रसोई के माध्यम से लोगों का पेट भरने का काम करते हैं. दोपहर के समय में लगभग हजारों की संख्या में लोगों को यह सुविधा उपलब्ध कराई जाती है. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह इसकी शुरुआत हुई और इसके पीछे का उद्देश्य क्या है.
गौतम गंभीर का परिचय और क्रिकेटर से सांसद बनने की कहानी 14 अक्टूबर 1981 को गौतम गंभीर का जन्म नई दिल्ली में हुआ था. उनके पिता एक टेक्सटाइल व्यापारी और मां गृहणी हैं. आपको बता दें कि गौतम गंभीर की स्कूली पढ़ाई मॉडल स्कूल नई दिल्ली में और फिर आगे की पढ़ाई हिंदू कॉलेज में पूरी हुई. 10 साल की उम्र से ही गौतम गंभीर ने क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था. 2007 के टी-20 वर्ल्ड कप में 75 रन और 2011 टी-20 वर्ल्ड कप में 97 रन की महत्वपूर्ण पारी गौतम गंभीर द्वारा कभी भी भूली नहीं जा सकती है. इसके अलावा आईपीएल में भी बतौर कप्तान रहते हुए उन्होंने कोलकाता नाइट राइडर्स को कई बार खिताब जिताने का भी काम किया.साल 2018 में क्रिकेट से संन्यास लेने के तुरंत बाद 2019 को उन्होंने राजनीतिक की ओर रुख किया. उन्होंने पूर्वी दिल्ली इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र का प्रचार किया और 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की जहां मौजूदा समय में वह भारतीय जनता पार्टी के सांसद हैं .
गौतम गंभीर द्वारा चलाए जा रहे एक आशा जन रसोई का परिचय और लक्ष्य दिल्ली में गौतम गंभीर की ‘एक आशा जन रसोई’ किसी पहचान की मोहताज नहीं है, जहां रोजाना लगभग 3500 से अधिक लोगों को भोजन करवाया जाता है और भोजन की गुणवत्ता भी काफी अच्छी होती है. अभी तक दिल्ली में इस कीमत पर कही भी लोगों को इस तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराने वाली दूसरी कोई संस्था नहीं है. इस वक्त देखा जाए तो 5 जगह रसोई चलाई जा रही है. विनोद नगर, शकरपुर, न्यू अशोक नगर, गांधी नगर और किशन कुंज में 5 रसोई चलती है. एक साथ 100 लोग बैठ कर आराम से भोजन कर सकते हैं, जिसमें चावल,दाल और सब्जी जैसे पौष्टिक भोजन से भरपूर प्लेट दी जाती है. इस परियोजना का वित्तपोषण गौतम गंभीर फाउंडेशन तथा सांसद के निजी संसाधनों से किया जाता है. इसमें सरकार की किसी तरह की कोई मदद नहीं ली जाती है. इसकी शुरुआत के समय ही गौतम गंभीर द्वारा यह बताया गया था कि इस रसोई को शुरू करने का एकमात्र लक्ष्य है कि कोई भी इंसान भूखा पेट ना रहे और सभी को यह सुविधाएं उपलब्ध हो.
गौतम गंभीर फाउंडेशन द्वारा चलाया जा रहा है एक आशा जन रसोई.