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तेज ध्वनि डालती है हृदय पर असर, लाउडस्पीकर के करीब जाने से बचें

फोकट का ज्ञान

तेज ध्वनि डालती है हृदय पर असर, लाउडस्पीकर के करीब जाने से बचें

आज के समय में खासतौर पर युवाओं को तेज आवाज, लाउड म्यूजिक और डीजे यह सब खूब पसंद है जिस पर थिड़कने का उन्हें बहुत शौक रहता है, पर कई दफा यह कई लोगों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है. खासतौर पर उन लोगों को जो दिल के मरीज है. आमतौर पर देखा जाता है कि अगर ज्यादा तेज आवाज हो तो वह साधारण व्यक्ति के हृदय पर भी असर डालता है और कोई पहले से दिल का मरीज हो तो उसे हार्टअटैक का भी खतरा रहता है, जिससे अचानक दिल की धड़कन बढ़ जाती है और हार्ट फेल हो सकता है. ऐसे में लाउडस्पीकर या ऐसी उन सभी चीजों से दूर रहे जहां से तेज आवाज आए और वह आपके हृदय के साथ-साथ आपके दिमाग पर भी असर डालें. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह आज के समय में तेजी से ध्वनि प्रदूषण फैल रहा है और लोग इसके प्रति बिल्कुल भी जागरूक और सचेत नहीं है, जिस कारण कई लोगों को इससे परेशानियां हो रही हैं.

ध्वनि प्रदूषण का परिचय
यह एक तरह का ऐसा प्रदूषण है जिसके लिए केवल और केवल मानव जिम्मेदार है. आमतौर पर देखा जाए तो बेवजह ट्रक, बस या निजी वाहनों का हॉर्न बजाना, लाउडस्पीकर या तेज ध्वनि वाले बाजे से गाने बजाने से ध्वनि प्रदूषण फैलता है. आमतौर पर देखा जाए तो हम 60 डेबी आवाज को सामान्यता सुन सकते हैं और जैसे ही इसकी संख्या बढ़ती है यह हमारे लिए नुकसानदायक होता है.
आज के समय में देखा जाए तो जिस तरह रेल वाहन, मोटर वाहन कार्यालय के अलग-अलग उपकरण, बिजली उपकरण, मनोरंजन वाली प्रणाली जैसे कि टीवी, रेडियो, म्यूजिक सिस्टम लोगों को ध्वनि प्रदूषण जैसी समस्या दे रही है, उससे जल्द से निजात पाना होगा.
ध्वनि प्रदूषण के बारे में जानकारी तो हर किसी को है पर इसे लेकर सचेत कोई नहीं है कि किस तरह यह तेज ध्वनि तरंग सीधा हमारे दिल की गति को प्रभावित करती है, जिससे उसकी गति कम हो जाती है और हार्ट अटैक की संभावना कई गुना बढ़ जाती है. इतना ही नहीं छोटे बच्चे और ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए भी यह काफी नुकसानदायक माना जाता है.

सेहत पर किस प्रकार असर डालता है ध्वनि प्रदूषण
1. ध्वनि प्रदूषण धीरे-धीरे हमारी कंसंट्रेशन की क्षमता को प्रभावित करके हमें मानसिक रूप से कमजोर बनाता है.
2. ध्वनि प्रदूषण से व्यक्ति के पाचन एवं हृदय पर भी काफी असर पड़ता है, जिस तरह इंसान का शरीर धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है.

3. कई बार ध्वनि प्रदूषण के कारण लोगों को चिड़चिड़ापन और नींद ना आने की समस्या भी देखने को मिलती है.
4. ज्यादा समय तक शोर-शराबे के बीच रहने वाले लोगों के सुनने की क्षमता धीरे-धीरे कम हो जाती है और उन्हें न्यूरोटिक मेंटल डिसऑर्डर हो जाता है.
5. जब हम अपनी क्षमता से तेज आवाज सुनते हैं तो हमारे शरीर से एक अलग ही केमिकल रिलीज होता है जिसका अलग-अलग प्रभाव देखने को मिलता है.
6. कई दफा जनरेटर की आवाज, शादी विवाह में डीजे की आवाज इतना ध्वनि प्रदूषण फैलता है कि मनुष्य के कान के पर्दे भी फट सकते हैं और एक वक्त में उसकी मृत्यु भी हो सकती है.

विकासशील देशों में डेवलपमेंट के नाम पर भारी मात्रा में कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है, जिस वजह से ध्वनि प्रदूषण फैलता है.

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