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एक ऐसा ज्योतिर्लिंग जहां महादेव सोने के लिए आते हैं, सावन माह में दर्शन का है विशेष महत्व

धर्म- कर्म

एक ऐसा ज्योतिर्लिंग जहां महादेव सोने के लिए आते हैं, सावन माह में दर्शन का है विशेष महत्व

भगवान शिव के कुल 12 ज्योतिर्लिंग हैं और 12 ज्योतिर्लिंगों का अपना एक अलग महत्व है जिसकी पूरी दुनिया में पूजा की जाती है. आज हम इन्हीं 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका स्थान चौथा है. उसकी महिमा इतनी निराली है कि यदि आप यहां पर दर्शन करने आते हैं तो महादेव की महिमा से आपकी हर परेशानी दूर हो जाती हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां पर हर रोज भोलेनाथ तीनो लोको का भ्रमण कर रात को सोने के लिए आते हैं. इस ज्योतिर्लिंग को परमेश्वर लिंग के नाम से भी जाना जाता है. आज हम आपको बताएंगे कि ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग का निर्माण कैसे हुआ और यहां पर पूजा करने के विशेष महत्व क्या है.

ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग का परिचय
मध्यप्रदेश के इंदौर शहर के पास यह ज्योतिर्लिंग स्थित है. ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के आस पास कुल 68 तीर्थ स्थित है और यहां भगवान शिव 33 करोड़ देवताओं के साथ विराजमान है. ओमकारेश्वर में परिक्रमा का विशेष महत्व है जो परिक्रमा 16 किलोमीटर लंबा है. इसे पूरा कर लेने से भगवान अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
ओमकारेश्वर मंदिर का निर्माण आठवीं शताब्दी ईस्वी में चालुक्य वंश द्वारा किया गया था, जिन्होंने मध्य भारत पर शासन किया था. ऐसी पौराणिक कथा है कि एक पर्वत पर राजा मांधाता ने कठोर तपस्या करते हुए भगवान शिव को प्रसन्न किया था, जिसके परिणाम स्वरुप उनके कहने पर भगवान शिवलिंग के रूप में यहां विराजमान हुए, तब से यह पर्वत मंधाता पर्वत कहलाने लगा. ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव माता पार्वती के साथ ओमकारेश्वर के मंदिर में हर रात को सोने आते हैं. इसलिए शाम की आरती के बाद यहां चौपड़ बिछाकर मंदिर के गर्भग्रह को बंद कर दिया जाता है और अगले दिन जब सुबह गर्भग्रह खोला जाता है तो यह चौपाल बिखरा हुआ मिलता है. सावन का महीना भगवान शिव को प्रिय होता है जहां इस महीने में यहां पर श्रद्धालुओं की भीड़ दुगनी हो जाती हैं. ऐसी मान्यता है कि सावन महीने में इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से उसके सात जन्म सवर जाते हैं और फिर शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेष बातें
1. इस ज्योतिर्लिंग को ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग इसलिए कहा जाता है क्योंकि पहाड़ों में बसी यह ज्योतिर्लिंग चारों और नर्मदा और कावेरी नदी से घिरी हुई है जो ओम के आकार की है.
2. ऐसी मान्यता है कि शिव पार्वती यहां रोज चौसर पासे खेलते हैं और शयन आरती के बाद मंदिर के पुजारी हर रोज चौसर पासे की बिसात लगाते हैं और फिर पट बंद कर दिए जाते हैं. इसके बाद किसी को अंदर जाने की इजाजत नहीं है.
3. रात के समय जहां पर चौपड़ बिछाई जाती है उसके बाद मंदिर के अंदर कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता है और सुबह सब कुछ बिखरा रहता है. ऐसा लगता है जैसे मानो रात्रि को कोई आया हो.
4. जब तक तीर्थयात्री ओंकारेश्वर के दर्शन करके यहां पर नर्मदा और बाकी नदियों पर जल नहीं चढ़ाते हैं तब तक उनकी यात्रा पूरी नहीं मानी जाती.

ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दिव्य दर्शन.

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