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हीरो होंडा ने भारत में लाया था मोटरसाइकिल क्रांति, फिर दोनों के अलग हो गए राह

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हीरो होंडा ने भारत में लाया था मोटरसाइकिल क्रांति, फिर दोनों के अलग हो गए राह

आज ऐसे कम ही लोग होंगे जो हीरो होंडा नाम से वाकिफ नहीं हों, क्योंकि इस नाम की एक ऐसी अलग पहचान बन चुकी है जो हर किसी के दिमाग में फिट है. कई दशकों तक हीरो होंडा ने मार्केट पर अपना कब्जा जमाया और लोगों की सबसे पसंदीदा कंपनी भी बन गई .जहां अपने प्रोडक्ट और मुनाफा को लेकर कंपनी बड़े-बड़े बिजनेसमैन को भी पीछे छोड़ने लगी. देश के आजाद होने के बाद साइकिल और फिर कुछ सालों बाद मोटरसाइकिल के रूप में हीरो होंडा ने एक अलग मिसाल पेश की और एक ऐसी क्रांति आई जिसकी कभी किसी ने उम्मीद तक नहीं की थी पर एक वक्त ऐसा आया कि हीरो होंडा हमेशा के लिए अलग हो गया और आज तक अलग ही है. उसके बाद कभी भी दोनों का नाम एक साथ नहीं जुड़ पाया. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह मोटरसाइकिल के क्षेत्र में क्रांति लाने वाली हीरो होंडा एक साथ जुड़ी और किस तरह दोनों के रास्ते अलग हो गए.

भारत में हीरो होंडा कंपनी की शुरुआत और कंपनी का परिचय
बृजमोहन लाल मुंजाल जो हीरो के चेयरमैन भी थे. वे भारत के 30 वें सबसे धनी व्यक्तियों में से एक थे.उनका जन्म 1930 में अविभाजित भारत के कमालिया में हुआ था जो कि वर्तमान में पाकिस्तान के पंजाब में जिला टोपा टेकसिंह में स्थित है. 20 साल की उम्र में वह अपने तीन भाइयों सत्यानंद, ओम प्रकाश और दयानंद के साथ पाकिस्तान के कमालिया से अमृतसर आए और साइकिल के कलपुर्जे का कारोबार शुरू किया. बाद में वह लुधियाना चले गए जहां वह अपने तीन भाइयों के साथ साइकिल के तरह-तरह के पार्ट बेचने लगे. वहां उन्होंने 1954 में हीरो साइकिल लिमिटेड की स्थापना की और साइकिल के महत्वपूर्ण पार्ट को बनाना शुरू किया. 1956 में पंजाब सरकार ने साइकिल बनाने का लाइसेंस जारी किया.सरकार से 6 लाख की वित्तीय मदद और अपनी पूंजी के साथ हीरो साइकिल को बड़े स्तर की इकाई  का दर्जा दिलवाते हुए साइकिल निर्माण में कदम रखा. उस समय कंपनी की सालाना उत्पादन क्षमता 7500 साइकिल थी और फिर साल 1975 तक यह कंपनी भारत की सबसे बड़ी साइकिल कंपनी बन चुकी थी.साल 1986 में हीरो साइकिल का नाम गिनीज बुक में दुनिया की सबसे बड़ी साइकिल कंपनी के रूप में दर्ज हुआ. इसके बाद उन्होंने एक टू व्हीलर कंपनी खोली जिसका नाम था हीरो मैजिक ट्रिक कंपनी जिसमें उन्होंने मैजिक स्कूटर और मोपेड बनाना शुरू किया और 1984 में उन्होंने जापान की बड़ी ऑटो कंपनी होंडा से करार किया और यहीं से उनकी दुनिया दोबारा बदल गई जहां हीरो ने होंडा के साथ मिलकर हरियाणा में प्लांट लगाया. 13 अप्रैल 1985 में हीरो होंडा की पहली बाइक आई. हीरो समूह द्वारा इतनी प्रगति की गई कि 2002 तक 86 लाख हीरो होंडा मोटरसाइकिल बिक चुकी थी और प्रतिदिन 16000 मोटरसाइकिल का उत्पादन किया जाता था.

भारत में हीरो और होंडा के अलग होने के मुख्य कारण
1. जब दोनों कंपनियों ने एक साथ करार किया था उस वक्त हीरो के पास इंजन बनाने की टेक्नोलॉजी नहीं थी जिस कारण मोटरसाइकिल बनाना मुमकिन नहीं था.
2. जब जापानी करेंसी में उछाल आया तो स्पेयर पार्ट्स महंगे होने लगे और हीरो के लिए किफायती बाइक बनाना मुश्किल होने लगा और धीरे-धीरे कंपटीटर मार्केट को तोड़ने लगे.
3. हीरो भारतीय कंपनी थी और होंडा एक जापानी कंपनी थी. होंडा जनरेटर और इंजन बनाने में  एक्सपर्ट थी और हीरो साइकिल बनाती थी. दोनों स्वतंत्र रूप से एक्सपर्ट है जिस कारण अपने रास्ते अलग कर लिया.
4. दरअसल होंडा ने हीरो को तकनीकी सहायता दी थी लेकिन हीरो ने अपने पार्टस को और डेवलप करना चाहता यह सब कुछ पार्टनरशिप खत्म होने के बाद ही हो सकती थी. इसके बाद इन्होंने इंजन और बाइक बनाना शुरू कर दिया.
5. हीरो कंपनी खुद को ग्लोबल स्तर पर ले जाना चाहती थी. इसके लिए टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक्स की जरूरत थी. ऐसे में इस पार्टनरशिप को तोड़ दिया गया.

कंपनी के विभाजन से पहले हीरो और होंडा के मालिक एक साथ.

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