खेल - कूद

मिल्खा सिंह ने पाकिस्तान में लहराया तिरंगा, उसके बाद कहे जाने लगे फ्लाइंग सिख

Published on

फ्लाइंग सिख कहलाने वाले मिल्खा सिंह की कहानी बेहद ही रोचक है. यहां तक पहुंचने के लिए काफी कड़ी मेहनत करनी पड़ी और कई मुश्किलों को पार करना पड़ा. उस वक्त कुछ सालों पहले ही भारत- पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था, जिस कारण मिल्खा सिंह काफी परेशान थे और वह पाकिस्तान नहीं जाना चाहते थे. उस वक्त जवाहरलाल नेहरू के समझाने पर वह पाकिस्तान जाने के लिए राजी हुए पर उन पाकिस्तानियों को यह नहीं पता था किस तरह अपनी तेज रफ्तार से हर किसी को पीछे छोड़ने वाला मिल्खा सिंह अब पाकिस्तान की धरती पर कदम रख चुका है. उस कंपटीशन में मिल्खा सिंह ने जिस तरह से दौड़ा और भारत का तिरंगा लहराया उसके बाद उन्हें फ्लाइंग सिख कहा जाने लगा. आज हम आपको मिल्खा सिंह से जुड़ी कई ऐसी बातें बताएंगे जिन्होंने अपने जीवन में इस मुकाम तक पहुंचने के लिए क्या-क्या संघर्ष किया और किस तरह बड़ा नाम हासिल किया.

मिल्खा सिंह का परिचय
20 नवंबर 1929 को मिल्खा सिंह का जन्म भारत के पंजाब में हुआ. वह 15 भाई बहन थे. भारत- पाकिस्तान विभाजन के समय हुए दंगे में उन्होंने अपने मां बाप और भाई बहन को खो दिया था. साल 1951 में अपने भाई मलखान के कहने पर वह सेना में भर्ती होने के लिए तैयार हो गए और फिर वह क्रॉस कंट्री रेस में छठे स्थान पर आए थे, जिस कारण सेना ने उन्हें खेलकूद में स्पेशल ट्रेनिंग के रूप में चुना था. इस दौरान उन्होंने कड़ी मेहनत की और 200 मीटर और 400 मीटर में अपने आप को पूरी तरह से स्थापित किया, जिसके बाद धीरे-धीरे वह कई प्रतियोगिताओं में भी सफल होने लगे. 1956 में मेलबर्न ओलंपिक में उन्होंने 200 और 400 मीटर में भाग लिया पर अनुभव नहीं होने के कारण वह सफल नहीं हो पाए, पर कड़ी मेहनत के बाद 1957 में मिल्खा सिंह ने 400 मीटर की दौड़ को कम समय में पूरा करके एक नया कीर्तिमान बनाया था जिसमें उन्हें स्वर्ण पदक मिला था. उसके बाद 1958 में कटक में आयोजित राष्ट्रीय खेल में भी उन्हें स्वर्ण पदक हासिल हुआ था और इसके बाद कभी उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और इस क्षेत्र में कई नए- नए मुकाम हासिल किए.

पाकिस्तान में वह स्पोर्ट्स इवेंट जिसमें मिल्खा सिंह ने पाकिस्तान को हराया था और फिर कहे जाने लगे फ्लाइंग सिख
यह साल 1960 की बात है जब मिल्खा सिंह को पाकिस्तान के एक इंटरनेशनल एथिलीट कंपटीशन में भाग लेने का मौका मिला. उस वक्त पाकिस्तान में अब्दुल खालिद दौड़ने में सबसे माहीर माने जाते थे जिन्हें हराकर मिल्खा सिंह ने पाकिस्तान में अपने नाम का परचम लहराया और हर तरफ उनके नाम की तालियां बज रही थी. दरअसल मिल्खा सिंह की रफ्तार इतनी थी कि पाकिस्तान का धुरंधर भी उनकी आगे नहीं टिक पाया जिसके बाद मिल्खा सिंह की जीत के बाद ही पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान ने उन्हें फ्लाइंग सिख का नाम दे दिया और कहा गया कि आज तुम दौड़े नहीं बल्कि उडे़ हो, इसलिए ये खिताब दिया जा रहा है.

पाकिस्तान और फिलीपींस के धावकों को हराने के बाद गोल्ड मेडल प्राप्त करते मिल्खा सिंह.

Copyright © 2020. All rights reserved