धर्म- कर्म
भूतों ने किया है महादेव के इस दिव्य मंदिर का निर्माण, नहीं हिला पाता है इसे तूफान
इस दुनिया में महादेव का जितना भी मंदिर है, उसकी अलग-अलग खासियत है जो पूरी दुनिया में मशहूर है. उसी में से एक नाम मध्यप्रदेश के ककनमठ मंदिर का है जिसे भूतों का मंदिर भी कहा जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसका निर्माण भूतो ने हीं किया था. कहा जाता है कि एक रात में ही भूतों ने इस मंदिर को बना दिया था और बनाते- बनाते सुबह हो गई थी जिस कारण निर्माण को बीच में ही छोड़ना पड़ गया. आज देश में भले जितने भी बड़े से बड़े तूफान या सुनामी आ जाए कोई भी आपदा महादेव के इस मंदिर को नहीं हिला पाती है. इस मंदिर के सभी पत्थर एक के ऊपर एक इस प्रकार संतुलित रखे हुए हैं कि तूफान से भी कोई फर्क नहीं पड़ता है. आज हम आपको बताएंगे कि महादेव के इस मंदिर की क्या खासियत है और किस तरह इसका निर्माण हुआ.
ककनमठ मंदिर का परिचय
मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में ककनमठ मंदिर स्थित है. भगवान शिव का यह अलौकिक मंदिर बेहद ही विशाल है, जिसमें आप शिवलिंग के दर्शन कर सकते हैं. इस मंदिर में किसी तरह से मिट्टी, सीमेंट और चूने का उपयोग नहीं किया गया है, बल्कि यह मंदिर पत्थर की बड़ी-बड़ी शिलाओ से बना हुआ है और यह वैसे पत्थर है जो वहां दूर- दूर तक भी नहीं मिलते. इस मंदिर की मरम्मत 11वीं शताब्दी में कछवाहा वंश के राजा कीर्ति राज द्वारा करवाया गया था. भगवान शिव के इस मंदिर में भक्त अपने सभी कष्टों का निवारण पाते हैं और भगवान शिव उनकी हर मनोकामनाएं पूरी करते हैं. यह मंदिर जमीन से लगभग 115 फुट की ऊंचाई पर स्थित है. जैसे ही इस मंदिर में प्रवेश किया जाता है जमीन पर मंदिर के टूटे अवशेष नजर आने लगते हैं. मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में स्थित यह मंदिर जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर सिहोनिया गांव में स्थित है. यहां से 3 किलोमीटर जाने पर मंदिर का गुंबद दिखाई देने लगता है. यह मंदिर झांसी से लगभग 154 किलोमीटर की दूरी पर है. ग्वालियर से इस मंदिर की दूरी 40 किलोमीटर है. ऐसे में इन दोनों शहरों से आप आसानी से यहां पहुंच सकते हैं.
ककनमठ मंदिर की कुछ महत्वपूर्ण बातें
1. इस मंदिर में इतने खंबे हैं कि आज तक इनकी गिनती कोई नहीं कर पाया है.
2. इस मंदिर पर कई मुस्लिम शासकों ने तोपों से भी हमला किया और तुड़वाने की भी कोशिश की पर यह मंदिर वैसे का वैसे ही है.
3. ऐसा कहा जाता है कि जिस दिन नाई जाति के नौ काने लड़के दूल्हा बनकर मंदिर के सामने से गुजरेंगे उस दिन यह मंदिर नष्ट हो जाएगा.
4. कछवाहा वंश के राजा कीर्ति सिंह ने अपनी पत्नी रानी कर्णावती के नाम पर इस मंदिर का निर्माण करवाया था, क्योंकि वह भोलेनाथ की सबसे बड़ी भक्त थी.
5. कहा जाता है कि इस मंदिर पर भूतों का साया है जिससे यहां शाम होने के बाद कोई नहीं रुकता है.
6. इस मंदिर में एक बड़ा पानी का कुंड है जिसे ककनमठ कुंड कहा जाता है. इस कुंड में हीलिंग शक्तियां है जिसमें स्नान करने से कई बीमारियां दूर होती हैं.