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यूं ही नहीं है गंगा का पानी पवित्र, विज्ञान भी देता है प्रमाण

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यूं ही नहीं है गंगा का पानी पवित्र, विज्ञान भी देता है प्रमाण

आज बच्चे से लेकर हर कोई यह बात जानता है कि गंगा नदी बेहद ही पवित्र है, क्योंकि यह सदियों से हमें सुनने को मिलता है कि चाहे इसमें कितने भी लोग नहाए या किसी तरह का कोई पूजा पाठ किया जाए, पर इसकी पवित्रता कभी कम नहीं होती है ना ही यह मैली होती है. पर यह सब कहने की बात नहीं है, बल्कि वैज्ञानिक तौर पर भी इसका प्रमाण मिला है जो इस बात को दर्शाता है कि गंगा का पानी हमेशा पवित्र रहता है. दरअसल वैज्ञानिकों के अनुसार गंगाजल में हिमालय के खनिज, पदार्थ, जड़ी-बूटी, मिट्टी आदि मिलकर कुछ ऐसे तत्वों का निर्माण करते हैं जो विषाणुओ को मार डालता है जिस कारण यह ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रह पाते हैं और पानी हमेशा साफ-सुथरा रहता है.

गंगा नदी का परिचय
हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग माने जाने वाली गंगा नदी की पवित्रता का वर्णन वेद, पुराण और महाभारत जैसे ग्रंथों में भी किया जा चुका है. आज भी लोग इसे पूजते हैं. गंगा नदी का उद्गम स्थान गंगोत्री हिमनद उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है, जहां से भागीरथ नामक नदी का उद्गम होता है जो कि आगे जाकर देवप्रयाग में अलकनंदा नदी से मिल जाती है जिसके संगम से गंगा का निर्माण होता है और आगे जाकर यह बंगाल की खाड़ी में शामिल हो जाती है. भारत की सबसे लंबी नदी माने जाने वाली गंगा की लंबाई 2525 किलोमीटर है. सनातन धर्म में गंगा नदी को बेहद ही पवित्र और पूजनीय बताया गया है. गंगा नदी के किनारे बहुत सारे शहर स्थित है जिसमें इलाहाबाद, वाराणसी, कानपुर, पटना और हरिद्वार मुख्य है. हिंदू लोग अपने हर त्योहार, धार्मिक अनुष्ठान एवं पूजा पाठ के लिए गंगाजल का मुख्य रूप से प्रयोग करते हैं. गंगा नदी की मुख्य सहायक नदियों में यमुना, रामगंगा, सरयू, कोसी, गंटक, महानदी और सोन नदी मानी जाती है. साथ ही इसकी दो महत्वपूर्ण उप सहायक नदियां भी है, जिसका नाम संबल और बेतवा है जो कि गंगा नदी से मिलने से पहले यमुना नदी में मिल जाती है.

गंगा नदी के पवित्रता की वजह
गंगाजल के पवित्रता का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु नजदीक आती है तो उसके मुंह में दो बूंद गंगाजल डाला जाता है जिससे कि उसकी आत्मा सीधे स्वर्ग में जाए. दरअसल कई शोध में यह पाया गया है कि गंगाजल में बैट्रिया फोस नामक एक बैक्टीरिया पाया जाता है जो पानी के अंदर रासायनिक क्रियाओं से उत्पन्न होने वाले अवांछनीय पदार्थों को खाता रहता है जिससे जल की शुद्धता बनी रहती है.
गंगाजल में कुछ भू रासायनिक क्रियाएं भी होती रहती है जिस वजह से इसमें कभी कीड़े नहीं पैदा होते. कई बार यह देखा जाता है कि ऑक्सीजन की कमी के कारण पानी एक समय में खराब होने लगता है और उसमें से बदबू आने लगती है पर गंगा जल के साथ यह समस्या नहीं है क्योंकि इसके पानी में गंधक की प्रचुर मात्रा मौजूद रहती है जिस कारण यह कभी खराब नहीं होता और माता गंगा अविरल बहती आ रही हैं.

इसमें कोई शक नहीं की गंगा के पानी से नहाने मात्र से इंसान पवित्र हो जाता है.

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