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मोटेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध है यह ज्योतिर्लिंग, कुंभकरण के बेटे से यहीं हुआ था शिव जी का युद्ध

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मोटेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध है यह ज्योतिर्लिंग, कुंभकरण के बेटे से यहीं हुआ था शिव जी का युद्ध

भगवान शिव के सभी 12 ज्योतिर्लिंग की अपनी- अपनी मान्यताएं और कहानी है जिस कारण आज पूरी दुनिया में इसे पूजा जाता है. एक ऐसा ज्योतिर्लिंग जिसकी कहानी बेहद ही अद्भुत है. यहां पर शिवलिंग की स्थापना को लेकर एक बेहद ही रोचक कहानी है जहां कुंभकरण के बेटे भीम को इतना अहम आ गया था कि वह देवों के देव महादेव से युद्ध करने उतर गया और पूरी तरह से तबाह हो गया.जिस कारण यहां पर महादेव के इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह महादेव ने देवताओं के कहने पर अपने आपको यहां स्थापित किया.

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का परिचय
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के भोरगिरी गांव खेद से करीब 50 किलोमीटर दूरी पर है.इस मंदिर का निर्माण मराठा साम्राज्य के छत्रपति शिवाजी ने करवाया था फिर 18वीं शताब्दी में नाना फडनवीस ने इस शिखर का निर्माण करवाया. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहां पर जो शिवलिंग है उसका आकार काफी मोटा है, जिस कारण इसे मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है. इसकी वास्तुकला नागालैंड शैली पर आधारित है. इसमे बनाया गया एक घंटा भक्तों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र माना जाता है.संसार को राक्षस से बचाने के लिए जब राजा कामरूप शिव की पूजा कर रहे थे तो इस बात पर कुंभकरण के बेटे भीमा को गुस्सा आ गया और गुस्से में उसने तलवार से शिवलिंग को तोड़ने की कोशिश की, जिसके बाद खुद भगवान शिव वहां प्रकट हो गए और दोनों के बीच युद्ध हुआ, जहां महादेव के क्रोध में भीमा का विनाश हो गया. इसके बाद इसी स्थान पर देवी-देवताओं ने शिवलिंग के रूप में उन्हें निवास करने को कहा जहां शिव को भीमाशंकर के नाम से पूजा जाता है.
इस मंदिर के पास में एक नदी बहती है जिसका नाम भीम नदी है. यह आगे जाकर कृष्णा नदी में मिल जाती है. कहा जाता है कि राक्षस भीमा और भगवान शंकर के बीच भयंकर युद्ध होने के कारण शिव के शरीर से पसीने की बूंद से ही भीमारथी नदी का निर्माण हुआ था और आज भी यह नदी बहती है.

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें
1. कहा जाता है कि सूर्योदय के बाद सच्चे मन से यहां भगवान शिव की पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है.

2. इस मंदिर के पास में कमलजा नदी स्थित है जो माता पार्वती को समर्पित है. ऐसा माना जाता है कि यहां पर भगवान शिव माता पार्वती के साथ विराजमान है.

3. यहां आस-पास कई कुंड मौजूद है जिसमें मोक्ष कुंड, सर्वतीर्थ कुंड, ज्ञानकुंड, कुशारण्य कुंड शामिल है.

4. ऐसी मान्यता है कि सावन महीने में भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का मात्र नाम लेने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं.

5. यहां का ज्योतिर्लिंग 24 घंटे जल से अभिषेक होता रहता है और वर्षा ऋतु में ज्योतिर्लिंग पूरी तरह जल में डूब जाता है.

6. यहां शिवलिंग मंदिर के गर्भ गृह में फर्श से ठीक बीच में है. मंदिर के खभों और चौखटों पर देवी और मानव प्राणियों की जटिल नक्काशी भी है.

मोटेश्वर महादेव के दिव्य दर्शन.

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